Under category | क़ुरआन करीम में भ्रूण के विकास के चरणों के बारे में वैज्ञानिक तथ्य | |||
Creation date | 2014-02-16 15:54:40 | |||
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संयुक्त वीर्यः परस्पर मिश्रित द्रव
﴿إِنَّا خَلَقْنَا الْإِنْسَانَ مِنْ نُطْفَةٍ أَمْشَاجٍ نَبْتَلِيهِ فَجَعَلْنَاهُ سَمِيعًا بَصِيرًا ﴾ [سورة التغابن :2]
‘‘हम ने मानव को एक मिश्रित वीर्य से पैदा किया ताकि उसकी परीक्षा लें और इस उद्देश्य की पूर्त्ति के लिये हमने उसे सुनने और देखने वाला बनाया।'' (अल-क़ुरआन, सूरः 76, आयतः 2)
अरबी शब्द 'नुत्फ़तिन अम्शाज' का अर्थ मिश्रित द्रव है। कुछेक ज्ञानी व्याख्याताओं के अनुसार मिश्रित द्रव का तात्पर्य पुरूष और महिला के प्रजनन द्रव हैं। पुरूष और महिला के इस द्वयलिंगी मिश्रित वीर्य को ‘‘युग्मनज: Zygote: जुफ़्ता'' कहते हैं, जिसका पूर्व स्वरूप भी वीर्य ही होता है। परस्पर मिश्रित द्रव का एक दूसरा अर्थ वह द्रव भी हो सकता है जिसमें संयुक्त या मिश्रित वीर्य शुक्राणु या वीर्य अण्डाणु तैरते रहते है। यह द्रव कई प्रकार के शारिरिक रसायनों से मिल कर बनता है जो कई शारिरिक ग्रंथियों से स्खलित होता है। इस लिये ´नुत्फ़ा-ए-अम्शाज' (संयुक्त वीर्य) यानि परस्पर मिश्रित द्रव के माध्यम से बने नवीन पुलिगं या स्त्रीलिगं वीर्य द्रव्य या उसके चारों ओर फैले द्रव्यों की ओर संकेत किया जा रहा है।