Under category | क़ुरआन करीम में भ्रूण के विकास के चरणों के बारे में वैज्ञानिक तथ्य | |||
Creation date | 2014-02-15 16:02:15 | |||
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﴿ فَلْيَنْظُرِ الْإِنْسَانُ مِمَّ خُلِقَ * خُلِقَ مِنْ مَاءٍ دَافِقٍ * يَخْرُجُ مِنْ بَيْنِ الصُّلْبِ وَالتَّرَائِبِ﴾ [سورة الطارق : 5-6]
‘‘फिर ज़रा इन्सान यही देख ले कि वह किस चीज़ से पैदा किया गया। एक उछलने वाले पानी से पैदा किया गया है, जो पीठ और सीने की हड्डियों के बीच से निकलता है।'' (अल-क़ुरआन, सूरः 86, आयतः 5-7).
प्रजनन अवधि में संतान उत्पन्न करने वाले जनांगों यानि 'अण्डग्रंथि' (testicles) और 'अण्डाशय' (ovary) ‘गुर्दो' (kidneys) के पास से 'मेरूदण्ड' (spinal cord) और ग्यारहवीं बारहवीं पस्लियों के बीच से निकलना प्रारम्भ करते हैं इसके बाद वह कुछ नीचे उतर आते हैं। 'महिला प्रजनन ग्रंथियां' (gonads) यानि गर्भाशय 'पेड़ू' (pelvis) में रूक जाती हैं, जबकि पुरूष जनांग 'वंक्षण नली' (Inguinal Canal) के मार्ग से 'अण्डकोष' (scrotum) तक जा पहुंचते हैं। यहां तक कि व्यस्क होने पर जबकि प्रजनन ग्रंथियों के नीचे सरकने की क्रिया रूक चुकी होती है। उन ग्रंथियों में 'उदरीय महाधमनी' (abdominal aorta) के माध्यम से रक्त और स्नायु समूह का प्रवेश क्रम जारी रहता है। ध्यान रहे कि 'उदरीय महाधमनी' (abdominal aorta) रीढ़ की हड्डी और पस्लियों के बीच होती है। 'लसीका निकास' (Lymphatic Drainage) और धमनियों में रक्त प्रवाह भी इसी दिशा में होता है।