पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइट - सुनने और देखने की इंद्रियाँ



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मां के गर्भाशय में विकसित हो रहे मानवीय अस्तित्व में सब से पहले जो इंद्रिय जन्म लेती है वह श्रवण इंद्रियाँ होती हैं। 24 सप्ताह के बाद परिपक्व भ्रूण (Mature Foetus) आवाजें सुनने के योग्य हो जाता है। फिर गर्भ के 28 वें सप्ताह तक दृष्टि इंद्रियां भी अस्तित्व में आ जाती हैं और दृष्टिपटल (Retina) रौशनी के लिये अनुभूत हो जाता है। इस प्रक्रिया के बारे में पवित्र क़ुरआन यूं फ़रमाता है :


﴿ ثُمَّ سَوَّاهُ وَنَفَخَ فِيهِ مِن رُّوحِهِ وَجَعَلَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْأَبْصَارَ وَالْأَفْئِدَةَ قَلِيلاً مَّا تَشْكُرُونَ ﴾ [سورة السجدة : 9]

‘‘फिर उसको नक-सक से ठीक किया और उसके अंदर अपने प्राण डाल दिये और तुम को कान दिये, आंखें दीं और दिल दिये, तुम लोग कम ही शुक्रगुज़ार होते हो।'' (अल-क़ुरआन, सूर: 32, आयतः 9)


﴿إِنَّا خَلَقْنَا الْإِنْسَانَ مِنْ نُطْفَةٍ أَمْشَاجٍ نَبْتَلِيهِ فَجَعَلْنَاهُ سَمِيعًا بَصِيرًا ﴾ [سورة التغابن :2]

‘‘हम ने मानव को एक मिश्रित वीर्य से पैदा किया ताकि उसकी परीक्षा लें और इस उद्देश्य के लिये हम ने उसे सुनने और देखने वाला बनाया।‘‘ (अल-क़ुरआन, सूरः 76, आयतः 2)


﴿وَهُوَ الَّذِي أَنشَأَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْأَبْصَارَ وَالْأَفْئِدَةَ قَلِيلاً مَّا تَشْكُرُونَ [المؤمنون :78] 

‘‘वह अल्लाह ही तो है जिसने तुम्हें देखने और सुनने की शक्तियां दीं और सोचने को दिल दिये मगर तुम लोग कम ही शुक्रगुज़ार होते हो।'' (अल-क़ुरआन, सूरः23, आयतः 78)


ध्यान दीजिये कि तमाम पवित्र आयतों में श्रवण-इंद्रिय की चर्चा दृष्टि-इंद्रिय से पहले आयी हुई है इससे सिद्ध हुआ कि पवित्र क़ुरआन द्वारा प्रदत्त व्याख्याएं, आधुनिक प्रजनन विज्ञान में होने वाले शोध और खोजों से पूरी तरह मेल खाती हैं या समान हैं।




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