पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइट - अर्द्ध निर्मित एंव अर्द्ध अनिर्मित गर्भस्थ-भ्रूण



عربي English עברית Deutsch Italiano 中文 Español Français Русский Indonesia Português Nederlands हिन्दी 日本の
Knowing Allah
  
  

   

अगर ‘मज़ग़ह‘ की अवस्था पर 'गर्भस्थ-भ्रूण' बीच से काटा जाए और उसके अंदरूनी भागों का अध्ययन किया जाए तो हमें स्पष्ट रूप से नज़र आएगा कि (मज़ग़ह के भीतरी अंगों में से) अधिकतर पूरी तरह बन चुके हैं, जब कि शेष अंग अपने निर्माण के चरणों से गुज़र रहे हैं। प्रोफ़ेसर जौंस का कहना है कि अगर हम पूरे गर्भस्थ-भ्रूण को एक सम्पूर्ण अस्तित्व के रूप में बयान करें तो हम केवल उसी हिस्से की बात कर रहे होंगे जिसका निर्माण पूरा हो चुका है और अगर हम उसे अर्द्ध निर्मित अस्तित्व कहें तो फिर हम गर्भस्थ-भ्रूण के उन भागों का उदाहरण दे रहे होंगे जो अभी पूरी तरह से निर्मित नहीं हुए बल्कि निर्माण की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि उस अवसर पर गर्भस्थ-भ्रूण को क्या सम्बोधित करना चाहिये? सम्पूर्ण अस्तित्व या अर्द्ध निर्मित अस्तित्व। गर्भस्थ-भ्रूण के विकास की इस प्रक्रिया के बारे में जो व्याख्या हमें पवित्र क़ुरआन ने दी है उससे बेहतर कोई अन्य व्याख्या सम्भव नहीं है। पवित्र क़ुरआन इस चरण को ‘अर्द्ध निर्मित अर्द्ध अनिर्मित' की संज्ञा देता है। निम्न्लिखित आयतों का आशय देखिए :


﴿يَا أَيُّهَا النَّاسُ إِن كُنتُمْ فِي رَيْبٍ مِّنَ الْبَعْثِ فَإِنَّا خَلَقْنَاكُم مِّن تُرَابٍ ثُمَّ مِن نُّطْفَةٍ ثُمَّ مِنْ عَلَقَةٍ ثُمَّ مِن مُّضْغَةٍ مُّخَلَّقَةٍ وَغَيْرِ مُخَلَّقَةٍ لِّنُبَيِّنَ لَكُمْ وَنُقِرُّ فِي الأَرْحَامِ مَا نَشَاء إِلَى أَجَلٍ مُّسَمًّى ثُمَّ نُخْرِجُكُمْ طِفْلا ثُمَّ لِتَبْلُغُوا أَشُدَّكُم﴾  [سورة الحج :5]


‘‘लोगो! अगर तुम्हें जीवन के बाद मृत्यु के बारे में कुछ शक है तो तुम्हें मालूम हो कि हम ने तुमको मिट्ठी से पैदा किया है, फिर वीर्य से, फिर रक्त के थक्के से, फिर मांस की बोटी से जो स्वरूप वाली भी होती है और बेरूप भी, यह हम इसलिये बता रहे हैं ताकि तुम पर यथार्थ स्पष्ट करें। हम जिस (वीर्य) को चाहते हैं एक विशेष अवधि तक गर्भाशय में ठहराए रखते हैं। फिर तुम को एक बच्चे के स्वरूप में निकाल लाते हैं (फिर तुम्हारी पर्वरिश करते हैं) ताकि तुम अपनी जवानी को पहुंचो।'' (अल-क़ुरआन, सूरः 22, आयतः 5).

 


वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हम जानते हैं कि गर्भस्थ-भ्रूण विकास के इस प्रारम्भिक चरण में कुछ वीर्य ऐसे होते हैं जो एक पृथक स्वरूप धारण कर चुके होते हैं, जबकि कुछ स्खलित वीर्य; विशेष तुलनात्मक स्वरूप में आए नहीं होते। यानि कुछ अंग बन चुके होते हैं और कुछ अभी अनिर्मित अवस्था में होते हैं।




                      Previous article




Bookmark and Share


أضف تعليق