Under category | लेख | |||
Creation date | 2013-10-03 14:36:27 | |||
Hits | 1098 | |||
Share Compaign |
हर पकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
“पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नेकियाँ भेंट करना बुद्धि की दृष्टि से बेवक़ूफी (मूर्खता), और धर्म की दृष्टि से बिद्अत (नवाचार) है। जहाँ तक उसके धर्म में बिद्अत होने का संबंध है तो वह इसलिए है कि सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम, जिन्हों ने पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को अपनी आँखों से देखा, आपके साथ साथ रहे और हमसे कहीं अधिक आप से प्यार किया, (वे लोग) ऐसा नहीं करते थे, फिर हम दुनिया के अंत में आते हैं और पैगंबर की ओर से हज्ज करते हैं और आपकी तरफ़ से सदक़ा व ख़ैरात करते हैं, यह शरीअत के दृष्टिकोण से गलत है।
तथा बुद्धि के रूप से यह बेवक़ूफी व मूर्खता है, क्योंकि बंदा जो भी नेक कार्य करता है नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को उसके समान (पुण्य) मिलता है, क्योंकि जो व्यक्ति किसी भलाई का मार्ग दर्शाता है उसे उस भलाई के करनेवाले के समान पुण्य मिलता है, और यदि आप ने नेक कार्य के सवाब को पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए भेंट कर दिया तो इसका अर्थ यह हुआ कि आप ने केवल अपने आप को वंचित किया है, क्योंकि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को आपके अमल से लाभ पहुँचता है, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए आपके अज्र के समान (अज्र) है चाहे आप उन्हें भेंट करें या भेंट न करें। मैं समझता हूँ कि यह बिद्अत चौथी शताब्दी में पैदा हुई है, और विद्वानों ने इसका खंडन किया है, और कहा है कि : इसका कोई तर्क नहीं है, और यदि आप पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की महब्बत में सच्चे हैं - और आशा है कि आप सच्चे होंगे - तो आपको चाहिए कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण करें, आपकी सुन्नत की पैरवी करें और आपके तरीक़े पर चलें।” अंत हुआ।