पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइट - बच्चों के ऊपर दया



عربي English עברית Deutsch Italiano 中文 Español Français Русский Indonesia Português Nederlands हिन्दी 日本の
Knowing Allah
  
  

Under category लेख
Creation date 2013-05-02 21:14:37
Hits 1184
इस पेज को किसी दोस्त के लिए भेजें Print Download article Word format Share Compaign Bookmark and Share

   

इस्लाम के अन्दर कृपा  की एक शक्ल छोटे बच्चों के ऊपर दया करना तथा उन से लाड और प्यार करना और उन को दु:ख न पहुँचाना है।

अबू हुरैरह रजि़यल्लाहु अन्हु से वर्णित है,  वह कहते हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हसन बिन अली रजि़यललाहु अन्हुमा को चूमा और आप के पास अक़रा बिन हाबिस बैठे हुये थे,   तो अक़रा ने कहा कि मेरे दस बच्चे हैं,  परन्तु मैं ने उन में से किसी को नहीं चूमा, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन की ओर देखा और फरमाया कि:

''जो दया नहीं करता उस के ऊपर दया नहीं की जाती।" (बुखारी व मुसिलम)

तथा हज़रत आइशा  रजि़यल्लाहु अन्हा से वर्णित है,  वह फरमाती हैं कि कुछ देहाती लोग अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आये और उन्हों ने आप से प्रश्न किया कि क्या आप लोग अपने बच्चों को बोसा देते हैं?  तो आप ने उत्तर दिया कि हाँ,  उन्हों ने कहा कि अल्लाह की सौगन्ध है हम उन को बोसा नहीं देते हैं! ते अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

''अगर अल्लाह ने तुम्हारे दिलों से दया को उठा लिया तो मैं इस का मालिक नहीं।" (बुखारी व मुसिलम)

पस यह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं, यही वह व्यकित है,  जिस के विषय में लोग मिथ्या से काम लेते हैं,  तथा कहते हैं कि वह एक युद्ध कर्ता और गँवार व्यकित था और जो खून बहाने का अभिलाषी था,  तथा वह दया करना नहीं जानता था !!

यदि यह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर इस प्रकार के असत्य,  झूठ,  मिथ्यारोप  तथा  मनगढ़त  आरोप लगाते हैं,  तो यह असफल तथा नाकाम रहें !

हज़रत अबू मसऊद बदरी रजि़यल्लाहु अन्हु से वर्णित है, वह कहते हैं कि मैं अपने नौकर को कोड़े लगा रहा था कि मुझे मेरे पीछे से एक आवाज़ सुनार्इ दी कि  ''ऐ अबू मसऊद! याद रखो,  वह कहते हैं  कि  क्रोध के कारण आवाज़ को पहचान न सका, पस जब वह मेरे निकट आये तो वह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम थे, और आप फरमा रहे थे कि:

''अबू मसऊद याद रखो कि तुम जितनी शक्ति    इस नौकर के ऊपर रखते हो, उस से अधिक शक्ति    अल्लाह तुम्हारे ऊपर रखता है। "

तो मैं ने कहा कि इस के बाद मैं कभी भी किसी नौकर को नहीं मारूँ गा !

तथा एक दूसरे कथन में है कि मैं ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल ! यह अल्लाह की इच्छा के लिए मुक्त (आज़ाद) है,   तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया कि:

''यदि तुम ऐसा न करते तो नरक की आग तुम को धर पकड़ती।" (मुसिलम)

जिन संगठनों की स्थापना बच्चों के ऊपर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिये की गयी है, उनका उत्तरदायित्व बनता है कि वह बच्चों के अधिकार को सिद्ध करने तथा उन को दु:ख न देने के विषय में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की प्रधानता को स्वीकार करें,  तथा बच्चों पर दया करने तथा उन से प्यार और भलार्इ पर उत्तेजित करने वाली इन महत्वपूर्ण अहादीस नबवी को अपने दरवाज़ों पर लटका दें।

बच्चों के ऊपर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम  की दया यह थी कि आप उनके देहान्त हो जाने पर आँसू बहाते। उसामा बिन ज़ैद रजि़यल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने नवासे को अपने हाथों में लिया जिस समय वह मरने के निकट थे,  तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम  की आँखों से आँसू निकल पड़े,  तो सअद ने आप से प्रश्न किया कि ऐ अल्लाह के रसूल क्या कारण है? तो आप ने उत्तर दिया कि:

''यह दया का आँसू है जिसे अल्लाह ने अपने बन्दों के दिलों में डाल रखा है, तथा अल्लाह तआला अपने दया करने वाले बन्दों के ऊपर दया करता है।" (बुखारी व मुसिलम)

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपने पुत्र इब्राहीम के पास गये जब उनकी मृत्यू का समय था,  तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की आँखों से आँसू बहने लगे,  तो अब्दुर्रहमान बिन औफ ने आप से प्रश्न किया कि ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आप की आँखों से आँसू निकल रहे हैं?   तो आप ने उत्तर दिया कि ''ऐ औफ के पुत्र! यह दया के आँसू हैं,  फिर आप ने फरमाया कि:

''नि:सन्देह आँखों से आँसू निकलते हैं, तथा हृदय दुखित है, परन्तु हम वही बात कहते हैं जिस से हमारा प्रभु प्रसन्न होता है,  और ऐ इब्राहीम! हम तेरी जुदार्इ (देहान्त) से दुखित हैं।" (बुखारी एंव मुसिलम)

 

 




                      Previous article                       Next article




Bookmark and Share


أضف تعليق