पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइट - स्त्रियों के ऊपर दया



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Under category लेख
Creation date 2013-05-02 21:31:42
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जहाँ तक इस्लाम में स्त्रियों    के साथ दया करने की बात है,  तो यह ऐसी चीज़ है कि जिस के ऊपर मुसलमान प्रतिकाल (हर समय) में गर्व करते रहे हैं,   इसी से संबंधित यह वर्णन है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक जंग में एक औरत को वधित पाया,  तो आप ने इस चीज़ को ना पसंद किया तथा बच्चों और औरतों को क़त्ल करने से मना कर दिया। (मुसिलम)

तथा एक दूसरे वर्णन के अन्दर है कि आप ने फरमाया कि ''इस को क़त्ल नहीं करना चाहिए था फिर आप ने अपने सहाबा की ओर देखा और उन में से एक को आदेश दिया कि ''खालिद बिन वलीद से जा मिलो तथा उन से कहो कि वह छोटे बच्चों,  कर्मकर तथा स्त्री को क़त्ल न करें। (अहमद व अबू दाऊद)

और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

''ऐ अल्लाह! मैं दो प्रकार के कमज़ोरों से अर्थात अनाथ तथा स्त्री के अधिकारों के बारे में लोगों पर तंगी करता हूँ। "(इसे इमाम नसार्इ ने रिवायत किया है और अलबानी ने इसे हसन कहा है)

इस जगह स्त्री को कमज़ोरी से विशिष्ट   करने का अर्थ है कि उस पर दया की जाये,   उसके साथ सदव्यवहार किया जाये तथा उसे दु:ख न पहुँचाया जाये।

कहाँ हैं वह लोग जो इस्लाम धर्म के ऊपर हिंसा तथा स्त्री के विपरीत तमीज़ करने का आरोप लगाते हैं।

 




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