पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइट - इस्लाम की कुछ संछिप्त खूबियाँ



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Knowing Allah
  
  

   

 

1. इस्लाम की एक खूबी यह है कि इस ने अकेले अल्लाह की उपासना करने का आदेश दिया है जिस का कोर्इ साझी नहीं, पस अल्लाह तआला अकेला है जिस का कोर्इ साझी नहीं, न उस ने किसी को जना है और न ही वह किसी से जना गया है। तथा कोर्इ भी उस का साझी नहीं।

2. इस्लाम की एक विशेषता यह है कि इस ने तमाम रसूलों पर विश्वास रखने का आदेश दिया, पस सभी रसूलों पर र्इमान लाये बिना कोर्इ मुसलमान नहीं हो सकता तथा उन रसूलों में मूसा, र्इसा और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम भी हैं।

3. तथा इस्लाम धर्म की खूबी यह भी है कि उस ने उन सभी आसमानी किताबों पर विश्वास रखने का आदेश दिया जो अल्लाह की ओर से उतरीं जैसे तौरात, इन्जील, ज़बूर तथा क़ुरआन, परन्तु यह सूचना भी दे दी है कि क़ुरआन से पहले की किताबों में परिवर्तन तथा गड़बड़ी पैदा हो चुकी है।

4. तथा इस्लाम की एक विशेषता यह है कि इस ने फरिश्तों के ऊपर र्इमान लाने का आदेश दिया है तथा उन के कार्यों को स्पष्ट किया तथा बतलाया कि यह फरिश्ते अललाह के आदेश का पालन करते हैं और कभी भी उस की अवज्ञा नहीं करते।

5. तथा इस्लाम की एक खूबी यह है कि इस ने क़ज़ा व क़द्र (र्इश्वरीय निर्णय) पर र्इमान लाने का आदेश दिया। इस र्इमान का बड़ा लाभ यह है कि इस से दिल को संतोष, सुकून तथा अन्दरूनी शानित प्राप्त होती है; क्योंकि मोमिनों को पता होता है कि इस संसार में जो कुछ भी होता है वह अल्लाह की मशीयत (चाहत) से होता है, तो अल्लाह ने जो चाहा वह हुआ जो नहीं चाहा वह नहीं हुआ, पस अल्लाह तआला हो चुकी और होने वाली चीज़ों को जानता है, तथा उन चीज़ों को भी जानता है जो प्रकट नहीं हुर्इ यदि प्रकट होती तो कैसी होती और यही ज्ञान का अंत है।

6. इस्लाम की एक खूबी यह भी है कि इस ने नमाज़, रोज़ा, ज़कात, तथा हज्ज का आदेश दिया तथा इन में से हर उपासना के बहुत सारे लाभ हैं जिन को इन पन्नों में बयान नहीं किया जा सकता।

7. तथा इस्लाम की विशेषत यह भी है कि इस ने वैध तथा अवैध को लोगों के सामने स्पष्ट कर दिया और चीज़ों में जवाज़ (वैधता) को मूल ठहराया और क़ुरआन तथा हदीस के तर्क के बिना कोर्इ चीज़ वर्जित नहीं हो सकती।

8. तथा इस्लाम की एक विशेषता यह है कि यह लोगों के ऊपर दया तथा कृपा करने वाला धर्म है, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया कि:

''अल्लाह रफीक़ (नम्र) है, नरमी को पसंद करता है तथा नरमी बरतने पर वह जो कुछ देता है सखती बरतने पर नहीं देता। (मुसिलम) 

9. और इस्लाम की खूबियों में से यह भी है कि इस ने लोगों के लिए तौबा का दरवाज़ा खोल रखा है कि कहीं वह मायूस तथा निराश न हो जायें, अल्लाह ने फरमाया:

قُلْ يَاعِبَادِي الَّذِينَ أَسْرَفُوا عَلَى أَنْفُسِهِمْ لاَ تَقْنَطُوا مِنْ رَحْمَةِ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ جَمِيعًا إِنَّهُ هُوَ الْغَفُورُ الرَّحِيمُ (الزمر: 53).

''(मेरी ओर से) कह दो कि ऐ मेरे बन्दो! जिन्हों ने अपनी जानों पर अत्याचार किया है तुम अल्लाह की रहमत से ना उम्मीद न हो जाओ, नि:सन्देह अल्लाह सारे गुनाहों को माफ कर देने वाला है, वास्तव में वह बड़ी बखिशश और बड़ी रहमत वाला है।  

(ज़ुमर: 53)

पस आदमी कितने ही पाप एंव हराम कार्य कर बैठे उसके लिए संभव है कि इसे छोड़ कर उस पर लजिजत हो और उस पाप से अल्लाह तआला से तौबा कर ले और यदि उसकी तौबा सच्ची है तो अल्लाह तआला उसे स्वीकार फरमाता है तथा उस पर उसे पुण्य देता है और कभी कभी उन गुनाहों को नेकियों में बदल देता है तथा यह इन्सान के र्इमान की मज़बूती और उसकी तौबा की सच्चार्इ के हिसाब से होती है।

10. तथा इस्लाम की एक खूबी यह है कि उस ने मर्दों को अपनी बीवियों के साथ हुसने मुआशरत (अच्छे रहन सहन, बरताव) का आदेश दिया, अल्लाह तआला ने फरमाया:

وَعَاشِرُوهُنَّ بِالْمَعْرُوفِ (النساء: 19).

''उन के साथ अच्छे तरीक़े से बूद व बाश रखो। (सूरतुन निसा:19)

तथा उनके ऊपर अत्याचार करने और उन से नफरत करने से रोका, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया कि कोर्इ मोमिन मर्द किसी मोमिना औरत से द्धेष (बुग़्ज़ व नफरत) न रखे, यदि उसे उसकी एक आदत ना पसंद है तो उसकी कोर्इ दूसरी आदत से वह प्रसन्न हो सकता है।

11. इस्लाम की खूबियों में से यह है कि इस ने मर्द के ऊपर अपनी बीवी के खर्च को अनिवार्य ठहराया, अगरचे उस (बीवी) के पास माल हो तथा उसे अपना माल खर्च करने की पूरी स्वतंत्रता दी। अत: मर्द को बीवी की इच्छा के बिना उस के माल में से कुछ भी लेने का अधिकार नहीं है।

12. इस्लाम की एक खूबी यह है कि इस ने ऊँचे अखलाक़ की ओर आमंत्रित किया जैसे न्याय, सच्चार्इ, अमानत दारी, मुसावात, कृपा, सखावत, वीरता, वफादारी, नम्रता, तथा बुरे अखलाक़ से रोका जैसे अत्याचार, झूठ, कठोरता, कंजूसी, बहाने बनाना, खयानत तथा घमण्ड करना। और अल्लाह ने अपने सन्देष्टा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अच्छे अखलाक़ की प्रशंसा की है, चुनांचे अल्लाह ने फरमाया:

وَإِنَّكَ لَعَلى خُلُقٍ عَظِيمٍ (القلم: 4).

''नि:सन्देह आप बड़े उत्तम स्वभाव पर हैं। (सूरतुल क़लम:4)

13. तथा इस्लाम की खूबियों में से यह भी है कि इस ने हर चीज़ यहाँ तक कि जानवरों के साथ तक भी एहसान करने का आदेश दिया, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया कि:

''एक नारी को एक बिल्ली के विषय में यातना से दो चार होना पड़ा, उस ने उसे क़ैद में डाल दिया यहाँ तक कि वह मर गर्इ तो उस ने इसके परिणाम में नरक में प्रवेश किया, न तो उस ने उस को खिलाया पिलाया और न ही उस को छोड़ा कि वह ज़मीन (खेती) के कीड़े-मकूड़े खा सके।

आज से चौदह शताब्दी पूर्व इस्लाम का जानवरों के साथ दया का यह एक उदाहरण है तो लोगों के साथ इसका क्या हाल होगा।

14. इस्लाम की एक खूबी यह है कि इस ने मामले (व्यापार आदि) में धोखा धड़ी करने से रोका है, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया कि: ''जिस ने धोखा दिया वह हम में से नहीं।

15. तथा इस्लाम की एक विशेषता यह है कि यह कार्य करने और जीविका ढूँढने पर उभारता है तथा सुस्ती और लोगों के सामने भीक मांगने से रोका परन्तु जब कोर्इ सख्त आवश्यकता में हो तो उसे पूरा करने के लिए भीक मांग सकते हैं।

तो इस्लाम प्रयत्न करने, कार्य करने तथा मेहनत करने का धर्म है, सुस्ती तथा आलस्य और शिथिलता का धर्म नहीं, अल्लाह तआला ने फरमाया:

فَإِذَا قُضِيَتْ الصَّلاَةُ فَانتَشِرُوا فِي الأَرْضِ وَابْتَغُوا مِنْ فَضْلِ اللَّهِ (الجمعة: 10).

''फिर जब नमाज़ हो चुके तो धर्ती पर फैल जाओ और अल्लाह का फज़ल तलाश करो और ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह का वर्णन करो ताकि तुम कामयाब हो जाओ। (सूरतुल जुमुआ:10)

इस्लाम धर्म की विशेषताओं तथा खूबियों के विषय में यह चंद बातें हैं और इस पुसितका के अन्दर उन खूबियों को विस्तार और विवरण के साथ नहीं लिखा जा सकता।




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