पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइट - संतुलित धर्म-शास्त्र



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Knowing Allah
  
  

   

पस इस धर्म के अन्दर यह शकित है कि यह जीवन के ढाँचे को संतुलित रूप में एक दरमियानी स्तंभ के ऊपर खड़ा करे जिस के अन्दर प्रलय के साथ संसार के पहलू का भी ध्यान रखा जाए जैसा कि अल्लाह तआला ने फरमाया:

وَابْتَغِ فِيمَا آتَاكَ اللَّهُ الدَّارَ الآخِرَةَ وَلاَ تَنسَ نَصِيبَكَ مِنْ الدُّنْيَا (القصص: 77).

''और जो कुछ अल्लाह ने तुझे प्रदान किया है उस में से प्रलय (आखि़रत) के घर की तलाश भी रख तथा अपने दुनियावी हिस्से को भी न भूल। (अल-क़सस:77)

इस्लाम ने धर्ती को आबाद करने और इस में टहलने फिरने तथा इस के कोषागार (खज़ाने) की खोज करने का आदेश दिया, परन्तु इस ने इसी को उद्देश्यअ  और मक़सद नहीं ठहराया बलिक मुसलमान का उद्देश्यअ  और मक़सद यह बतलाया कि उस से अल्लाह तआला प्रसन्न हो जाये, इसी कारण इस्लाम की सभ्यता एक सुसजिजत इंसानी सभ्यता क़रार पार्इ क्योंकि इस ने विधान तथा सभ्यता की तरक़्क़ी एंव उन्नति को उस अख़लाक़ी उद्देश्यअ  से जोड़ा जो वास्तव में अल्लाह तआला की प्रसन्नता और उस के स्वर्ग की प्रापित है और पशिचमी मद्दी शिच्टाचार के अन्दर यही संबंध नहीं है जिस के कारण यह सभ्यता खिन्नता का सबब बनी और कोर्इ भी लाभदायक सदाचार पहलू प्राप्त न कर सकी।

 




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