Under category | इस्लाम धर्म की महानता | |||
Creation date | 2013-03-07 13:02:54 | |||
Hits | 813 | |||
Share Compaign |
वास्तव में इस्लामी अहकाम केवल खयालात की दुनिया में बयान नहीं किये जाते बलिक यह एक वास्तविक धर्म है जो मानवता की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है तथा उनके सभी मामलात में कठिनाइयों को दूर करता है।
और इस्लाम के वास्तविक रूप में से यह है कि यह मानव प्रÑति के अनुसार है इस के विपरीत नहीं।
बलिक इस ने इस (मानव- प्रकृति) को उत्तमता तथा ऊँचे आदर्श की दिशा दी और इस्लाम ने इसी कारण विवाह को वैध ठहराया तथा उस पर उभारा और इस ने व्यभिचार और विवाह की सीमा से बाहर रह कर यौन संबंध क़ायम करने को अवैध बतलाया और इस के द्वारा खानदान के टुकड़े टुकड़े होने और उसे नष्ट होने से बचाया तथा एक पाक-साफ धार्मिक तरीक़े से यौन संबंध रचाने का आदेश दे कर स्वभाव के हित का पालन किया और इस्लाम ने व्यकितगत सम्पत्ति को वैध ठहराया, व्यकित जितनी सम्पत्ति चाहे रख सकता है परन्तु यह वैध रूप से जमा किया गया हो, ठीक उसी समय इस्लाम ने इस बात से रोका कि कुछ धनवानों के पास ही सारा माल एकत्र हो कर रह जाए जबकि बाक़ी लोग भूक का कष्ट उठा रहे होँ, तो यह चीज़ भी इस्लाम से संबंधित नहीं है।