Under category | पैगंबर मुहम्मद एक पति के रूप में - अहमद क़ासि | |||
Auther | Ahmad kasem El Hadad | |||
Creation date | 2007-11-02 14:02:26 | |||
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हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- का अपनी पवित्र पत्नियों की ओर से दुखोँ पर धैर्य
हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-अपनी पत्नियों की ओर से दुख परधैर्य और उनकी ओर से होने वाली तकलीफों को सहने में सब से ऊँचा बुलंद मानव उदाहरण थे lयाद रहे कि अल्लाह की नजर में और लोगों के पास उनका बड़ा सम्मान , बड़ा दर्जा , ऊँचा रुतबा और महान पद होने के बावजूद, उनसे अधिक धैर्यवाला और पत्नियों को उनसे अधिक सहनेवाला किसी ने आज तक नहीं देखा, और अभी अभी हमने जो-हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-के धैर्य और सहनशीलता के विषय में उल्लेख किया है उस से आपके सामने यह बात स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन फिर भी यहां हम इस विषय से संबंधित कुछ विशेष बातों का उल्लेख करते हैं l
१- हज़रत उमर बिन खत्ताब-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-ने कहा:"हम कुरैश के लोग महिलाओं को दबा कर रखते थे, लेकिन जब हम अनसार के पास आए तो पता चला कि यह लोग तो ऐसे हैं कि इनकी महिलाएं इनको दबा कर रखती हैं और फिर हमारी भी महिलाएं अनसार की महिलाओं से वही आदत सीखने लगीं, हज़रत उमर कहते हैं: एक बार मैं अपनी पत्नी पर चिल्लाया तो वह मुझे खरा जवाब दी, उसका जवाब देना मुझे बहुत कड़वा लगा, तो वह बोली मेरा जवाब आपको क्यों बुरा लग रहा है? अल्लाह की क़सम! अल्लाह के पैगंबर -उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- की पत्नियां भी तो उनको जवाब देती हैं, और कभी कभी तो उन में कोई उनको दिन भर और रात भर छोड़ी रहती हैं, यह सुन कर मैं बहुत गर्म हो गया और मैंने उसे कहा: उनमें से जो भी ऐसा करती है तो उसकी बर्बादी हो, फिर मैंने अपना कपड़ा ऊपर चढ़ाया और सीधा हफ्सा(मतलब अपनी बेटी जो हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-की पवित्र पत्नियों में शामिल थीं)के पास गया और उस से कहा:ऐ हफ्सा! क्या सचमुच तुम लोगों में से कोई हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-से लड़कर गुस्से में रात दिन गुज़ारती है?तो वह बोली: हाँ lहज़रत उमर कहते हैं :इस पर मैंने कहा: तुम्हारी बर्बादी हो, और नाकामी का मुंह तुझे देखना पड़े, क्या तुम्हें डर नहीं है कि हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-के गुस्सा के कारण अल्लाह को भी गुस्सा आए और फिर तुम तबाह हो जाओl" इसे बुखारी ने उल्लेख किया हैl
देख लिया आपने कि हज़रत उमर-अल्लाह उनसे खुश रहे-अपनी पत्नी के उल्टा जवाब देने पर कितना गुस्सा हो गए और वह भी एक छोटी सी बात पर जबकि हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- तो अपनी पत्नियों के जवाब को पी जाते थे, और क्रोध को थाम लेते थे, जबकि वे तो उनके साथ बातचीत भी बंद कर देती थीlजी हाँ वह एक सम्मानित दूत थे और महान नेता थे , और यह इसलिए कि वह बहुत धैर्यवाले और सहनशील थे l
२-इसके अलावा, ऐसी स्थितियों में भी वह उनके साथ नरमी से बात करते थे और ऐसा लगता था कि उनसे कोई ग़लती हुई ही नहीं, हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे- कहती हैं कि हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- ने मुझ से कहा :"मुझे पता है जबतुम मुझ से ख़ुश रहती हो और जब तुम मुझ पर ग़ुस्से में रहती हो "
उन्होंने पूछा कैसे? तो उन्होंने उत्तर दिया:जब तुम ख़ुश रहती हो तो यह कहती हो:"नहीं नहीं मुहम्मद के पालनहार की क़सम"और जब ग़ुस्से में रहती हो तो कहती हो: "नहीं नहीं इब्राहिम के पालनहार की क़सम"
उन्होंने कहा:"जी हाँअल्लाह की क़सम!हे अल्लाह के पैगंबर! मैं केवल आप का नाम नहीं लेती हूँ(जब गुस्से में रहती हैं)lइस हदीस कोबुखारी ने उल्लेख किया l
३-हज़रत अनस-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे-से कथित है कि अल्लाह के पैगंबर -उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-अपनी पत्नियों में से किसी के यहां थे इतने उनकी पत्नियों में से कोई दूसरी पत्नी एक नौकर को एक थाली में भोजन दे कर भेजी तो वह पत्नी जिनके यहां हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- थे उस नौकर के हाथ पर मारी तो वह थाली गिर गई और टूट गई इस पर हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- खुद थाली के टुकड़ों को जमा किए और उसमें गिरे हुए खाने को जमा करने लगे, और बोले: तुम्हारी मां का भला हो, इसके बाद उस नौकर को रुकने बोले: और उस पत्नी के घर से ठीक थाली को लाकर उसे दिए जिनकी थाली टूटी थी और टूटी हुई थाली को उस पत्नी के घर पर रहने दिए जो थाली तोड़ी थी lइसे बुखारी ने उल्लेख किया l
ज़रा हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो- के अपनी पत्नियों पर सब्र और धैर्य तो देखिए, कोई तो पूरे दिन भर उनको छोड़ देती थी, कोई तो उनके शुभ नाम को लेना छोड़ देती थी, कोई तो उनके सामने नौकर पर हाथ छोड़ देती थी , और हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-के लिए ज़रूरी और लाज़मी सम्मान को भी ठुकरा देती थी इस के बावजूद भी वह अनदेखी कर जाते थे और सह जाते थे और सब्र कर लेते थे बल्कि क्षमा कर देते थे, जबकि यदि वह चाहते तो उन्हें छोड़ देते या तलाक़ दे देते, और अल्लाह उनको उनसे बेहतर पत्नियां दे देता, मुसलमान, विश्वास वालियां अधिक से अधिक इबादत करने वालियां और रोज़े रखने वालियां महिलाएं और कुंवारी भी अल्लाह उनको दे देता, जैसा कि खुद अल्लाह ने इस का उनको वचन दिया कि यदि वह उनको तलाक़ दे देंगे तो अल्लाह उनको ऐसी महिलाएं देगा, लेकिन वास्तव में वह बहुत दयालु , मेहरबान, और कृपाशील थे, माफ़ करते थे ,दुख को पी जाते थे, बल्कि सच तो यह है कि उन पर दुख जितना ज़ियादा डाला जाता था उतना ही उनका धैर्य रंग लाता था l