Under category | एकेश्वरवाद का मानव-जीवन पर प्रभाव | |||
Creation date | 2013-09-19 16:42:03 | |||
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इन्सान और उसके ग़ुस्से के बीच दो में से एक ही रिश्ता होता है—इन्सान ग़ुस्से को कंट्रोल करे या ग़ुस्सा इन्सान को कंट्रोल करे। जब इन्सान ऐकेश्वरवाद को मानता है, तो अल्लाह के आदेश को मानता है।
• अल्लाह भले और अच्छे बन्दों के बारे में कहता है—
‘‘जब उन्हें ग़ुस्सा आता है, तो माफ़ कर देते हैं।’’ (क़ुरआन, 42:37)
• अन्तिम ईशदूत पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा—
‘‘जिस किसी (आदमी) ने अपने ग़ुस्सा को रोका, अल्लाह क़ियामत (महाप्रलय) के दिन उससे अपनी यातना (अज़ाब) को रोक लेगा।’’ (बैहकी : शोबुल-ईमान)
समाज को ग़ुस्से के कारण बहुत हानि पहुंचती है। भरे हुए जेलख़ाने, अदालतें और अस्पताल इसके उदाहरण हैं।