Under category | एकेश्वरवाद का मानव-जीवन पर प्रभाव | |||
Creation date | 2013-09-21 16:13:18 | |||
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इन्सान की सोच का उसके आचरण और काम पर प्रभाव पड़ता है। सोच और आचरण का रिश्ता ऐसा है, जैसे बैल और बैलगाड़ी का, जिधर बैल जाएगा, उधर गाड़ी भी जाएगी।
दिमाग़ एक बाग़ की तरह होता है। जब उसकी देख-भाल नहीं की जाती तो उसमें बिगाड़ पैदा हो जाता है। नकारात्मक सोचों के साथ रचनात्मक और सकारात्मक काम नहीं हो सकता।
जब हम एकेश्वरवाद को मानते हैं, तो हमारा मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) भी अच्छा रहता है और हम मानसिक प्रदूषण (Mental Pollution) भी नहीं फैलाते, क्योंकि अल्लाह चुग़ली, दोषारोपण और लम्बी-लम्बी छोड़ने को नापसन्द करता है। अल्लाह किसी के प्रति अच्छा विचार रखने को पसन्द करता है। टोह लेने, भ्रम, ग़लत धारणा आदि बुरी बातों को अल्लाह नापसन्द करता है। हम इनसे बचते हैं तो मानसिक व नैतिक स्तर पर सेहतमन्द रहते हैं।