Under category | क्या पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इंजील में उल्लेख हुआ है | |||
Creation date | 2013-04-30 01:43:28 | |||
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जिन तीन नुबुव्वतें का वर्णन इस खुश्खबरी में हुआ है , उसी के समान इनका उल्लेख सूरतुत्तीन के शुरू में हुआ है :
وَالتِّينِ وَالزَّيْتُونِ (التين: 1).
وَطُورِ سِينِينَ (التين: 2).
وَهَذَا الْبَلَدِ الأَمِينِ (التين: 3).
“क़सम है अंजीर की और ज़ैतून की। और सीनै के तूर पर्वत की। और इस शान्ति (सुरक्षा) वाले नगर की।“ (सूरतुत्तीन :1-3) (देखिए : हिदायतुल हयारा पृ॰ :110, और इमाम इब्ने क़ैयिम ने जो उल्लेख किया है वह पुराना नियम, व्यवस्था विवरण 33:1 में है।)
चौथा : शैख अब्दुल मजीद ज़िन्दानी ने अपनी किताब (पिछली आसमानी ग्रन्थों में मुहम्मद सल्ल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शुभसूचनायें) में उल्लेख किया है कि बर्नाबा की इंजील (Gospel of Barnabas) अध्याय 22 में वर्णन हुआ है कि : “यह अल्लाह के पैग़ंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म के आने तक जारी रहेगा, जब वह आ जायेंगे तो अल्लाह की शरीअत पर विश्वास करने वालों के लिए इस घोखे को बेनक़ाब करेंगे।“
और यशायाह की पुस्तक में है लिखा है कि : “हे मुहम्मद, मैं ने आप का नाम मुहम्मद बना दिया है , ऐ परमेश्वर के प्रेमी आप का नाम हमेशा से विद्यमान है।“
तथा यशायाह की पुस्तक में उल्लेख हुआ है : “जो कुछ मैं ने उसे प्रदान किया है , किसी अन्य को प्रदान नहीं करूँगा, वह अहमद है , क्योंकि वह अल्लाह की नित नई प्रशंसा करता है जो धरती के सब से श्रेष्ठ जगह से आती है , उसके आने से मानवजाति को खुशी प्राप्त होगीए और वे हर उच्च सथान पर अल्लाह की एकता का गुणगान करेंगे, और हर टीले पर अल्लाह की महिमा का वर्णन करेंगे।“
विद्वानों ने कई एक स्थानों का वर्णन किया है जहाँ नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नाम का उल्लेख हुआ है , कहीं तो तो स्पष्ट रूप से आप के नाम का उल्लेख हुआ है और कहीं पर ऐसे गुणविशेषण का उल्लेख हुआ है जो केवल आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर ही लागू होते हैं।
आप निम्नलिखित लिंक पर इसके अनेक सबूत देख सकते हैं :
यह बात आप को मालून होनी चाहिए कि तौरात और इंजील की जो पुस्तकें आज मौजूद हैं उन में संशोधन और परिवर्तन किया गया है , गैरमुस्लिम इतिहासकारों ने इस तथ्य का उल्लेख किया है , लेकिन इस के उपरान्त अभी भी हम तौरात और इंजील में अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म के आगमन की शुभसूचना मौजूद पाते हैं। शैख रहमतुल्लाह हिन्दी (भारतीय) ने वर्णन किया है कि ईसाईयों को जब भी किसी स्थान पर हेरफेर करने का अवसर मिला है उन्हों उस में हेरफेर किया है , इसीलिए आप देखें गे कि कुछ प्राचीन विद्वानों ने तौरात और इंजील में ऐसी जगहों का उल्लेख किया है जो अब मौजूद नहीं हैं, किन्तु अब भी कुछ अन्य ऐसे स्थान हैं जो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म की नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) और आप के आगमन की खुश्खबरी देते हैं।
ज्ञात होना चाहिए कि आदमी के लिए ईसाईयों से बहस करते समय पर्याप्त विशुद्ध ज्ञान से सुसज्जित होना आवश्वयक है , भले ही उनके पास कोई सबूत नहीं है , परन्तु वे लोगों के दिलों में संदेह की बीज बोने का प्रयास करते हैं, ताकि लोग उन सन्देहों के सामने अपने आप को समर्पित कर देंए और सत्य छुप जाए। लेकिन अल्लाह तआला अपने नूर (प्रकाश) को परिपूर्ण करने वाला है , भले ही काफिरों (अविश्वासियों) को बुरा लगे।
इस संदर्भ में लाभदायक किताबों में से शैख रहमतुल्लाह हिन्दी की किताब “इज़्हारुल हक़”, इब्नुल क़ैयिम की किताब “हिदायतुल हयारा” और इस से पूर्व इब्ने तैमिय्या की किताब “अल-जवाबुस्स्हीह” है।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
इस्लाम प्रश्न और उत्तर