हज़रत पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में न्याय पूर्ण गवाहियाँ
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प्रोफेसर 'कीथ मोरे'अपनी किताब (the developing human)में कहते हैं: मुझे यह बात स्वीकारने में कोई कठिनाई नहीं होती किक़ुरआन अल्लाह का कलाम (कथन) है,क्योंकि क़ुरआन में जनीन (गर्भस्थ) के जो विश्वरण दियेगए हैं उनका सातवीं शताब्दी की वैज्ञानिक जानकारी पर आधारित होना असम्भव है। एकमात्र उचित परिणाम (निष्कर्ष) यह है कि यह विवरण मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम को अल्लाह की ओर से व (ईश्वाणी) किये गये थे।
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'वोल देवरान्त'अपनी किताबसभ्यता की कहानीभाग-११ में कहता हैः अगर हम किसी की महानता की कसौटी इस बात कोबनाएं कि उस महान पुरूष का लोगों के बीच कितना प्रभाव है, तो हमें कहना पड़ेगाकि मुसलमानों के पैग़म्बर इतिहास के महान पुरूषों में सब से महान हैं। आप नेतअस्सुब (पक्षपात) और ख़ुराफात (मिथ्यावाद) को लगाम लगा दिया और यहूदियत, ईसाइयत औरअपने नगर के पुराने धर्म के ऊपर एक सरल,स्पष्ट और ऎसे शक्तिाशली धर्म की स्थापनाकी जो आज तक एक बहुत बड़ी खतरनाक शक्ति के रूप में बाक़ी है।
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'जार्ज डी तोल्ज़'अपनी पुस्तक 'जीवन'में कहता हैः मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूत(पैग़म्बर) होने में संदेह करना दरअसल ईश्वरीय शक्ति में संदेह करना है जो सर्व संसारमें फैली हुई है।
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वैज्ञानिक 'वील्ज़' अपनी किताब 'सत्य पैग़म्बर'में कहता हैःपैग़म्बर की सच्चाई का सबसे स्पष्ट प्रमाण यह है कि उनके घर वाले और उनके सबसेक़रीबी लोग उन पर सब से पहले ईमान लाये। वह लोग उनके सारे भेदों को जानते थे, अगरउन्हें आप की सच्चाई के बारे में कुछ संदेह होता तो वे आप पर ईमान न लाते।
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मुसतशिरक़ 'हील'अपनी किताब 'अरब की सभ्यता'में कहता हैः मानव इतिहास में हम कोईधर्म नहीं जानते जो इतनी तेज़ी से फैला और दुनिया को बदल डाला हो जिस प्रकार इस्लामने किया है। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक उम्मत (समुदाय) को जन्माया, धर्ती पर अल्लाह की उपासना का सिक्का जमा दिया, न्याय और समाजी बराबरी की नीव रखीऔर ऎसे लोगों में व्यवस्था, प्रबन्ध, आज्ञापालन और प्रतिष्ठा एवं सम्मान स्थापितकर दिया जो कुप्रबंध और दुवयर्रवस्था के सिवा कुछ नहीं जानते थे।
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हस्पानवीमुसतशरिक़ 'जान लीक' अपनी किताब 'अरब' में कहता हैः मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जीवन की विशेषता का वर्णन इस से बेहतर कोई नहीं कर सकता जो विशेषतावर्णन अल्लाह ने अपने इस फर्मान के द्वारा किया हैः
"हम ने आप को सर्व संसार वालोंके लिए रहमत (कृपा और दया) बनाकर भेजा है।" (सूरतुल अम्बियाः१०७)
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सच-मुच रहमत थे, मैं उन पर शौक़ और उत्सुकता से दरूद भेजता हूँ।'
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'बर्नार्ड शा'अपनी किताब 'इस्लाम सौ साल के बाद'में कहता हैः पूरी दुनिया शीघ्र ही इस्लाम को स्वीकार कर लेगी। अगर वह उसे उसके स्पष्ट नाम के साथ स्वीकार न करेतो उसे ( किसी दूसरे) नाम से अवश्य स्वीकार करेगी। एक दिन ऎसा आएगा कि पश्चिम केलोग इस्लाम धर्म को गले से लगाएंगे। पश्चिम पर कई सदियाँ गुज़र चुकी हैं और वह इस्लामके संबंध में झूठ से भरी हुई किताबें पढ़ता चला आ रहा है। मैं ने मुहम्मदसल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में एक किताब लिखी थी किन्तु अंग्रेज कीरीतियों और परम्पराओं से हट कर होने के कारण वह ज़ब्त कर ली गई।
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