Under category | पैगंबर मुहम्मद की नमाज़ का विवरण | |||
Creation date | 2010-12-12 05:39:02 | |||
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सुत्रा की ऊंचाई की मात्राः
20- सुत्रा का ज़मीन से लगभग एक बित्ता (9 इंच) या दो बित्ता ऊंचा रखना वाजिब है। क्योंकि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है किः "जब तुम में से कोई आदमी अपने सामने कजावे के अंतिम भाग की लकड़ी की तरह (कोई चीज़) रख ले तो उसे चाहिए कि वह नमाज़ पढ़े, और उस काजावे के बाद से गुज़रने वाले की वह कोई परवाह न करे। ( कजावे के अंत में जो खम्भा होता है उसे अरबी भाषा में "अल-मुअख्खरह" कहते हैं, और ऊँट के लिए कजावा ऐसे ही होता है जिस प्रकार कि घोड़े के लिए काठी होती है। तथा हदीस से इंगित होता है की धरती पर लकीर खींचना (सुत्रा के लिए) पर्याप्त नहीं है, और इस बारे में जो हदीस वर्णित है वह ज़ईफ (कमज़ोर) है )।
21- और नमाज़ी सीधे सुत्रा की ओर चेहरा करेगा, क्योंकि सुत्रे की ओर नमाज़ पढ़ने के हुक्म से यही अर्थ ज़ाहिर होता है, और जहाँ तक उस से दायें या बायें तरफ हट कर इस तरह खड़े होने का संबंध है कि ठीक उसी की ओर मुँह न हो, तो यह साबित (प्रमाणित) नहीं है।
22- तथा जमीन में गड़ी हुई लकड़ी वगैरह की तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ है, इसी प्रकार किसी पेड़ की तरफ, या किसी खम्भे की तरफ, या चारपाई पर लेटी हुई अपनी पत्नी की ओर इस हाल में कि व अपनी रज़ाई (कम्बल) के नीचे हो, तथा चौपाये की ओर, भले ही वह ऊँट ही क्यों न हो, इन सब की तरफ (यानी इन्हें सुत्रा मान कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ है।