Under category | दिन और रात की हज़ार सुन्नतें – खालिद अल-हुसैन | |||
Creation date | 2007-11-30 14:57:52 | |||
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बैठक में से उठते समय की सुन्नतें:
किसी भी बैठक में से उठते समय "काफ्फारतुल-मजलिस" (यानी बैठक का क्षतिपूरण)पढ़ना सुन्नत है, और उसके शब्द कुछ इस तरह हैं:
"سبحانك اللهم وبحمدك أشهد أن لا إله إلا أنت ، استغفرك وأتوب إليك"
"सुब्हानकल्लाहुम्मा व बि-हम्दिका, अश्हदु अल्ला इलाहा इल्ला अन्ता, अस्तग़फिरुका व अतूबु इलैका"
(हे अल्लाह! पवित्रता हो तुझे और तेरी ही लिए प्रशंसा है, मैं गवाही देता हूँ कि तेरे सिवाय और कोई पूजनीय नहीं है, मैं तुझी से माफ़ी चाहता हूँ और तेरे पास ही पश्चात्ताप करता हूँ l) इसे "सुनन" के लेखकों ने उल्लेख किया है l
१) - तीन बार खाना खाने की बैठक: इसमें कोई शक नहीं है कि आप जिसके साथ भी बैठेंगे तो उनके साथ बात तो करेंगे ही l
२- जब आप अपने दोस्तों या अपने पड़ोसियों में से किसी से मिलते हैं तो उस से बात करते ही हैं , भले ही खड़े खड़े सही l
३- सहयोगियों और मित्रों के साथ बैठने के समय अथवा जब आप कार्यालय में होते हैं या स्कूल के बेंच पर बैठे होते हैं l
४- जब आप अपनी पत्नी और अपने बच्चों के साथ बैठते हैं और आप उनसे बात करते हैं और वे आप से बात करते हैं l
५- जब आप अपने रास्ते में गाड़ी में होते हैं और जो भी आपके साथ उस रास्ते में होता है, पत्नी या दोस्त उनके साथ बात करते ही हैं l
• तो देखए -अल्लाह आपको अच्छा रखे- कि अपने दिन और रात में आपने कितनी बार इस दुआ को पढ़ा है? ताकि लगातार आपका लगाव अल्लाह से लगा रहे, ज़रा सोचिए कि आपने कितनी बार अपने पालनहार की पवित्रता प्रकट किया? और कितनी बार उसकी महानता को बयान किया? और कितनी बार आपने उसकी प्रशंसा की? और कितनी बार "सुब्हानाकल्लाहुम्मा व बि-हम्दिका"( हे अल्लाह! पवित्रता हो तुझे और तेरी ही लिए प्रशंसा है) के द्वारा उसकी पवित्रता को सपष्ट किया ?
• अपने दिन और रात में कितनी बार आपने अपने पालनहार के साथ नए सिरे से माफ़ी-तलाफ़ी और तौबा-तिल्ला किया, उन बैठकों में आप से हुई गलती-भुल्ती से "सुब्हानाकल्लाहुम्मा व बि-हम्दिका"( हे अल्लाह! पवित्रता हो तुझे और तेरी ही लिए प्रशंसा है) के माध्यम से माफ़ी मांगी?
• कितनी बार आपने अल्लाह सर्वशक्तिमान के एकेश्वरवाद को बयान किया, और कितनी बार पालन करने में उसकी एकता, पूजा में उसकी एकता और उसके नाम और उसके गुण में उसकी एकता को स्पष्ट किया? और कितनी बार "अश्हदु अल्ला इलाहा इल्ला अन्ता" (मैं गवाही देता हूँ कि तेरे सिवाय और कोई पूजनीय नहीं है) के द्वारा उसकी एकता का गुणगान किया ?
• यदि आप इस सुन्नत पर अमल करते हैं तो आपके दिन-रात अल्लाह की एकता बयान करने और माफ़ी मांगने और आपसे से हुई कमियों से तौबा में गुज़रेंगे l
इस सुन्नत को लागू करने के परिणाम:
इस सुन्नत पर अमल करने से उन बैठकों में हुए पापों और गलतियों के लिए परिहार प्राप्त होगा l