Under category | इस्लामी युद्ध-नियम व संधि की हैसियत | |||
Creation date | 2014-12-01 09:18:16 | |||
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इस बात से भी मना कर दिया गया कि आम आबादी की किसी चीज़ से, मुआवज़ा अदा किये बग़ैर फ़ायदा न उठाया जाए। जंग के दौरान में अगर दुश्मन के किसी इलाक़े पर क़ब्ज़ा करके मुसलमानों की फ़ौज वहां ठहरी हो तो उसको यह हक़ नहीं पहुंचता कि लोगों की चीज़ों का बे-रोक-टोक इस्तेमाल करे। अगर उसको किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो ख़रीद कर लेना चाहिए या मालिकों की इजाज़त लेकर उसको इस्तेमाल करना चाहिए। हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ (रज़ियल्लाहु अन्हु) फ़ौजों को रवाना करते वक़्त यहां तक फ़रमाते थे कि ‘‘दूध देने वाले जानवरों का दूध भी तुम नहीं पी सकते, जब तक कि उनके मालिकों से इजाज़त न ले लो।’’