Under category | एकेश्वरवाद का मानव-जीवन पर प्रभाव | |||
Creation date | 2013-09-18 17:25:51 | |||
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दुनिया की सारी तरक़्क़ियों और आविष्कारों (Discoveries) के पीछे एक चीज़ होती है और वह है उम्मीद (Hope), कामयाबी की उम्मीद। प्रत्येक वैज्ञानिक उम्मीद के सहारे अपनी खोज एवं शोध् की शुरुआत करता है, जान-तोड़ कोशिश करता है, जो उसे कामयाबी तक ले जाती है। जितनी ज़्यादा उम्मीद, उतनी ज़्यादा जान-तोड़ कोशिश और उतनी ज़्यादा कामयाबी।
उम्मीद इन्सान को काम करने के लिए प्रेरित करती है—किसान को फ़सल की उम्मीद, रोगी को सेहत या स्वास्थ्य की उम्मीद, व्यापारी को लाभ की उम्मीद, विद्यार्थी को सफलता की उम्मीद और सैनिक को जीत की उम्मीद ही जान-तोड़ कोशिश के लिए उभारती है।
इन्सान जब एकेश्वरवाद को मानता है, तो फिर वह एक ऐसे ख़ुदा को मानता है जिसके कंट्रोल में हर चीज़ है। कोई भी उसके क़ाबू से बाहर नहीं। वह जब चाहे और जो चाहे कर सकता है। वह कभी और किसी भी असफलता को सफलता में, दुख को ख़ुशी में और ग़रीबी को अमीरी में बदल सकता है। इस तरह एकेश्वरवाद का माननेवाला इन्सान कभी निराश नहीं होता, निराशा का शिकार नहीं होता। वह हमेशा आशावान रहता है, आशा एवं उत्साह से भरा रहता है, निराशा, उदासी और विषाद (Depression) से सुरक्षित रहता है और आत्महत्या कभी नहीं करता।