पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइट - जुमा की नमाज़ की फज़ीलत



عربي English עברית Deutsch Italiano 中文 Español Français Русский Indonesia Português Nederlands हिन्दी 日本の
Knowing Allah
  
  

   

मैं जुमा (जुमुआ) की नमाज़ की फज़ीलत में वर्णित कुछ हदीसें जानना चाहता हूँ।



हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से बहुत सी हदीसें वर्णित हैं जो जुमा की नमाज़ की फज़ीलत को स्पष्ट करती हैं। उन्हीं में से कुछ निम्नलिखित हैं:

1. इमाम मुस्लिम (हदीस संख्या: 233) ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: "पाँच समय की नमाज़ें और एक जुमा से दूसरा जुमा, उनके बीच होने वाले गुनाहों के लिए कफ्फारा हैं जब तक कि बड़े गुनाहों से बचा जाये।"

तथा अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया है कि आप ने फरमाया: "जिस व्यक्ति ने स्नान किया, फिर जुमा की नमाज़ के लिए आया और उसके लिए जो मुक़द्दर था उसने (स्वैच्छिक) नमाज़ पढ़ी। फिर खामोश रहा यहाँ तक कि इमाम खुत्बा से फारिग हो गया। फिर उसने उसके साथ (जुमा की) नमाज़ पढ़ी तो उसके उस जुमा और दूसरे जुमा के बीच के और तीन दिन अतिरिक्त के गुनाह माफ कर दिये जाते हैं।" इसे मुस्लिम (हदीस संख्या: 857) ने रिवायत किया है।

इमाम नववी कहते हैं:

"दोनों जुमा के बीच और तीन दिन अतिरिक्त की माफ़ी का अर्थ यह है कि नेकियों को दस गुना कर दिया जाता है, और वह जुमा का दिन जिसमें उसने ये अच्छे कार्य किए हैं उस नेकी के अर्थ में हो गया जिसे दस गुना कर दिया जाता है। हमारे कुछ असहाब का कहना है: दोनों जुमा के बीच से अभिप्राय जुमा की नमाज़ और उसके ख़ुत्बा से लेकर दूसरे जुमा को उसी समय तक है। ताकि बिनी किसी वृद्धि या कमी के सात दिन हो जायें, और उनमें तीन दिन और मिला दिए जायें तो दस दिन हो जायेगा।" (नववी की बात समाप्त हुई)

2. जुमा के लिए जल्दी जाने में महान पुण्य है:

बुख़ारी (हदीस संख्या: 841) और मुस्लिम (हदीस संख्या: 850) ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: "जिसने जुमा के दिन जनाबत का गुस्ल किया। फिर वह (जुमा की नमाज़ के लिए) गया तो गोया उसने एक ऊँट की क़ुर्बानी पेश की। और जो दूसरी घड़ी में गया तो उसने गोया गाय की क़ुर्बानी दी, और जो तीसरी घड़ी में गया तो उसने गोया सींगदार मेंढे की क़ुर्बानी दी, और जो चौथी घड़ी में गया उसने गोया मुर्गी की क़ुर्बानी दी, और जो पाँचवीं घड़ी में गया तो गोया उसने एक अण्डे की क़ुर्बानी पेश की। फिर जब इमाम (खुत्बे के लिए) निकलता है तो फरिश्ते हाज़िर होकर ज़िक्र सुनते हैं।

3. जुमा की नमाज़ के लिए पैदल जाने वाले को हर क़दम पर एक साल का रोज़ा और क़ियामुल्लैल का अज्र व सवाब मिलता है।

औस बिन औस सक़फी से वर्णित है, वह रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: "जिस व्यक्ति ने जुमा के दिन स्नान किया और स्नान कराया, जल्दी किया और सवेरे मस्जिद गया, (इमाम से) क़रीब बैठा, ध्यान से ख़ुत्बा सुना और खामोश रहा तो उसे हर क़दम पर एक साल के क़ियामुल्लैल और रोज़े का अज्र व सवाब मिलता है।" इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या: 496) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह तिर्मिज़ी (हदीस संख्या: 410) में इसे सहीह कहा है।

इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह "ज़ादुल मआद" (1/385) में फरमाते हैं:

"इमाम अहमद ने फरमाया: "स्नान कराया" अर्थात् अपनी पत्नी से संभोग किया। इसी प्रकार वकीअ् ने भी इसकी यही व्याख्या की है।" (इब्नुल कैयिम की बात समाप्त हुई)

हाफिज़ इब्ने हजर रहिमहुल्लाह ने जुमा की नमाज़ की फज़ीलत में वर्णत हदीसों का उल्लेख करने के बाद फरमाया: हम ने जो हदीसें उल्लेख की हैं उनके योग से स्पष्ट होता है कि एक जुमा से दूसरे जुमा तक गुनाहों का मिटाया जाना उपर्युक्त सभी चीज़ों के पाये जाने अर्थात्: स्नान करने, सफाई व सुथराई, खुश्बू (सुगंध) या तेल लगाने, अच्छे पोशाक पहनने, सुकून के साथ चलने, लोगों को कूद फाँदकर न जाने, दो आदमियों के बीच अलगाव न करने, नफ्ल नमाज़ पढ़ने, के साथ मश्रूत है।

और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।

 




                      Previous article                       Next article




Bookmark and Share


أضف تعليق