Under category | क्यू एंड ए | |||
Creation date | 2013-07-13 20:48:12 | |||
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हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
मैं इस समस्या का इसके अलावा कोई समाधान नहीं पाता हूँ कि जेल के प्रशासन से मिलने के समय को बदलने की अपील की जाये ताकि वह मग्रिब और फज्र के बीच हो जाये और यही वह समय है जिसमें मुसलमान के लिए शरीअत के अनुसार (रमज़ान के महीने में) अपनी पत्नी से संभोग करना जाइज़ है। और जैसी भी परिस्थिति हो किसी ऐसे मुसलमान के लिए - जिस पर रोज़ा रखना अनिवार्य है - इस बात की अनुमति नहीं है कि वह रमज़ान के दिन में अपनी पत्नी से यौन संबंध बनाये। रमज़ान के दिन में संभोग करना रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों में सबसे बुरी है, और उसे कर लेने पर एक मोमिन गुलाम आज़ाद करना, यदि वह न मिले तो लगातार दो महीने रोज़े रखना, अगर इसकी भी ताक़त न हो तो साठ मिस्कीनों को खाना खिलाना, साथ ही साथ तौबा करना और उस दिन की जिसमें उसने संभोग किया है क़ज़ा करना अनिवार्य हो जाता है।
आप लोगों के ऊपर शिक्षा देना और अच्छी नसीहत करना अनिवार्य है, यदि इसके बाद कोई चीज़ घटती है तो तौबा (पश्चाताप) करना और कफ्फारा अनिवार्य है, और शायद जेल प्रशासन उपर्युक्त प्रस्ताव को स्वीकार कर ले, विशेषकर यदि वे व्यक्तिगत अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं।
अल्लाह तआला आप लोगों को हर भलाई की तौफीक़ प्रदान करे और आपके प्रयासों का आपको बदला दे, तथा हम अल्लाह से अपने मुसलमान क़ैदी भाईयों के लिए सुदृढ़ता और उनकी पत्नियों के लिए हिदायत का प्रश्न करते हैं, और अल्लाह तआला ही सीधे मार्ग की ओर हिदायत देने वाला है।
इस्लाम प्रश्न और उत्तर