Under category | लेख | |||
Creation date | 2013-06-16 21:00:39 | |||
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पंद्रह शाबान की क्या फज़ीलत (प्रतिष्ठा) है, क्या यह वही रात है जिसके अंदर अगले साल के लिए प्रति व्यक्ति के भाग्य का फैसला किया जाता है ॽ
तथा सूरत अद्दुखान में वर्णित रात का अभिप्राय क्या है, क्या यह शाबान के महीने की रात है, या वह लैलतुल क़द्र (शबे-क़द्र) है ॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
आधे शाबान (या पंद्रह शाबान) की रात उसके अलावा अन्य रातों के समान ही है, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कोई ऐसी चीज़ साबित नहीं है जो इस बात पर तर्क स्थापित करती हो कि उस रात में लोगों के अंजाम या उनके भाग्यों को सुनिश्चित किया जाता है। प्रश्न संख्या (8907) देखिये।
जहाँ तक उस रात का प्रश्न है जो अल्लाह तआला के कथन :
﴿ إِنَّا أَنْزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةٍ مُبَارَكَةٍ إِنَّا كُنَّا مُنْذِرِينَ فِيهَا يُفْرَقُ كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ ﴾ [الدخان : 3-4]
“निःसंदेह हम ने इसे एक बरकत वाली रात में उतारा है, निःसंदेह हम डराने वाले हैं। इसी रात में हर एक मज़बूत (महत्वपूर्ण) काम का फैसला किया जाता है।” (सूरतुद्-दुखान : 3-4)
में वर्णित है तो अल्लामा इब्ने जरीर तबरी रहिमहुल्ला - अल्लाह उन पर दया करे - का फरमान है :
क़ुरआन के टीकाकारों (भाष्यकारों) ने उस रात के बारे में मतभेद किया है कि वह साल भर की रातों में से कौन सी रात है। तो कुछ लोगों ने कहा है कि : वह लैलतुल क़द्र है, जबकि कुछ अन्य लोगों का कहना है कि वह आधे शाबान (पंद्रहवीं शाबान) की रात है, उन्हों ने कहा : इस बारे में शुद्ध (सही) बात उन लोगों का कथन है जिन्हों ने इस से लैलुत क़द्र (क़द्र की रात) मुराद लिया है, क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने इस बात की सूचना दी है कि वह रात इसी तरह (अर्थात क़द्र वाली) है और वह अल्लाह तआला का यह कथन है:
﴿إِنَّا أَنْزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةِ الْقَدْرِ﴾
“निःसंदेह हम ने इसे (यानी क़ुर्आन को) क़द्र वाली रात में उतारा है।”
तफसीर तबरी 11/221.
तथा अल्लाह तआला का फरमान:
﴿فِيهَا يُفْرَقُ كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ ﴾
“इसी रात में हर मज़बूत काम का फैसला किया जाता है।” की व्याख्या करते हुए इब्ने हजर ने सहीह बुखारी की व्याख्या में फरमाया : इसका अर्थ यह है कि उसमें उस वर्ष के अहकाम मुक़द्दर किये जाते हैं इसलिए कि अल्लाह का फरमान है कि “इसी रात में हर एक मज़बूत काम का फैसला किया जाता है।” और नववी ने इसी के द्वारा अपनी बात का आरंभ किया है, उन्हों ने फरमाय : उलमा ने कहा है कि इस रात का नाम लैलतुल क़द्र इसलिए रखा गया है कि फरिश्ते इसमें भाग्यों (अक़दार) को लिखते हैं क्योंकि अल्लाह का फरमान है : “इसी रात में हर एक मज़बूत काम का फैसला किया जाता है।” तथा इसे अब्दुर्रज़्ज़ाक़ और उनके अलावा अन्य मुफस्सिरीन ने सहीह असानीद के साथ मुजाहिद, इकरिमा और क़तादा वगैरह से रिवायत किया है।
लैलतुल क़द्र की उस आदमी के लिए बहुत फज़ीलत है जो उसमें अच्छा कार्य करे और इबादत में संघर्ष करे।
अल्लाह तआला ने फरमाया:
﴿إِنَّا أَنْزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةِ الْقَدْرِ (1) وَمَا أَدْرَاكَ مَا لَيْلَةُ الْقَدْرِ (2) لَيْلَةُ الْقَدْرِ خَيْرٌ مِنْ أَلْفِ شَهْرٍ (3) تَنَزَّلُ الْمَلائِكَةُ وَالرُّوحُ فِيهَا بِإِذْنِ رَبِّهِمْ مِنْ كُلِّ أَمْرٍ (4) سَلامٌ هِيَ حَتَّى مَطْلَعِ الْفَجْرِ (5)﴾ [سورة القدر : 1-5]
“निःसन्देह हम ने इसे क़द्र (प्रतिष्ठा) की रात में उतारा है। और आप को किस चीज़ ने सूचना दी कि क़द्र की रात क्या है ॽ क़द्र की रात एक हज़ार महीने से अधिक श्रेष्ठ है। इस (रात) में फरिश्ते और रूह (जिब्रील) अपने रब के हुक्म से हर काम के लिए उतरते हैं। यह रात फज्र के निकलने तक शान्ति वाली होती है।” (सूरतुल क़द्र : 1 – 5)
इस रात की फज़ीलत में बहुत सी हदीसें वर्णित हैं, उन्हीं में वह हदीस है जिसे बुखारी ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु के माध्यम से नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया है कि आप ने फरमाया : “जिस व्यक्ति ने ईमान के साथ और अज्र व सवाब की आशा रखते हुए लैलतुल क़द्र को क़ियामुल्लैल किया (अर्थात् अल्लाह की इबादत में बिताया) तो उसके पिछले गुनाह क्षमा कर दिए जायेंगे, और जिस व्यक्ति ने ईमान के साथ और अज्र व सवाब की आशा रखते हुए रोज़ा रखा उसके पिछले गुनाह क्षमा कर दिए जायेंगे।” इसे बुखारी (अस्सौम (रोज़ा) / 1768) ने रिवायत किया है।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद