पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइट - अब्दुल मुत्तलिब की मन्नत



عربي English עברית Deutsch Italiano 中文 Español Français Русский Indonesia Português Nederlands हिन्दी 日本の
Knowing Allah
  
  

   

जब कुँआ दुबारा खोद दिया गया, तो उनकी क़ौम ने उसमें हिस्सा बटा लिया। इस पर उन्हें कमज़ोरी और अत्याचार का आभास हुआ। क्योंकि उनकी क़ौम उस कुँआ में जिसे उन्हों ने खोदा था साझेदार बन गर्इ थी, इसलिए कि हारिस के अलावा उनकी कोर्इ संतान नहीं थी। अतः अब्दुल मुत्तलिब ने अपने दोनों हाथों को आसमान की ओर उठाकर अल्लाह से यह प्रार्थना की कि उन्हें दस बेटे प्रदान करे, और यह मन्नत मानी कि यदि अल्लाह तआला ने उन्हें दस बेटे प्रदान कर दिए तो वह अल्लाह की निकटता प्राप्त करने के लिए उनमें से एक बेटे को क़ुर्बान कर देंगे। नि:संदेह यह इस्लाम से पूर्व का मामाला है, और अब्दुल मुत्तलिब इस बात को नहीं जानते थे कि संतान की बलि देना हराम है, बल्कि वह अपने पास मौजूद सबसे क़ीमती चीज़ – अपने बेटे की बलि देकर अल्लाह की निकटता प्राप्त करना चाहते थे।




                      Previous article                       Next article




Bookmark and Share


أضف تعليق