Under category | पैगंबर मुहम्मद की नमाज़ का विवरण | |||
Creation date | 2010-12-12 06:02:33 | |||
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हर रक़अत में सूरतुल फातिह़ा पढ़नाः
61- हर रक़अत में सूरतुल फातिह़ा पढ़ना वाजिब है।
62- कभी कभी आखिर की दोनों रकअतों में भी सूरतुल फातिह़ा के अतिरिक्त (कोई सूरत या कुछ आयतें) पढ़ना मसनून है।
63- इमाम का क़िराअत को सुन्नत में वर्णित मात्रा से अधिक लम्बी करना जाइज़ नहीं है, क्योंकि इस के कारण उस के पीछे नमाज़ पढ़ने वाले किसी बूढ़े आदमी, या बीमार, या दूध पीते बच्चे वाली महिला, या किसी ज़रूरतमंद को कष्ट पहुँच सकता है।