Under category | पैगंबर मुहम्मद की नमाज़ का विवरण | |||
Creation date | 2010-12-12 06:00:55 | |||
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मुक़तदी का सूरतुल फातिह़ा पढ़नाः
54- मुक़तदी पर अनिवार्य है कि सिर्री और जहरी दोनों नमाज़ो में इमाम के पीछे सूरतुल फातिह़ा पढ़े, अगर उस ने इमाम की क़िराअत नहीं सुनी है, या इमाम सूरतुल फातिहा पढ़ने के बाद इतनी देर खामोश रहा जितने समय में मुक़तदी सूरतुल फातिह़ा पढ़ने पर सक्षम हो, अगरचे हमारा विचार यह है कि यह खामोशी सुन्नत से साबित नहीं है। (मैं कहता हूँ किः मैं ने इस विचार -मत- की ओर जाने वालों के प्रमाण और उस पर होने वाली आपत्ति का उल्लेख सिलसिलतुल अहादीस अज़्ज़ईफा में हदीस संख्याः 546 और 547 के अंतर्गत पृ0 2/24, 26, मुद्रण दारुल मआरिफ में किया है)।