Under category | पैगंबर मुहम्मद की नमाज़ का विवरण | |||
Creation date | 2010-12-12 05:16:32 | |||
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हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।
सर्वशक्तिमान अल्लाह की कृपा और अनुकम्पा से निम्नलिखित पंक्तियों में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा सारांश रूप में प्रस्तुत किया जा रहा हैः
पहलाः काबा की ओर मुँह करना
1- ऐ मुसलमान भाई, जब आप नमाज़ के लिए खड़े हों, तो आप चाहे जहाँ भी हों, फर्ज़ एवं नफ़्ल दोनों नमाजों में अपना चेहरा काबा (मक्का मुकर्रमा) की तरफ कर लें, क्योंकि यह नमाज़ के अरकान में से एक रुक्न है, जिस के बिना नमाज़ शुद्ध (सही) नहीं होती हैं।
2- सलातुल खौफ (डर की नमाज़) और घमासान की लड़ाई में जंगजू से काबा की ओर चेहरा करने का हुक्म समाप्त हो जाता है।
- तथा उस आदमी से भी काबा की ओर चेहरा करने का हुक्म समाप्त हो जाता है जो काबा की ओर अपना चेहरा करने में असक्षम हो जैसे बीमार आदमी, या जो व्यक्ति नाव (कश्ती) में, या मोटर गाड़ी, या हवाई जहाज़ पर सवार हो जबकि उसे नमाज़ के समय के निकल जाने का खौफ हो।
- इसी प्रकार उस आदमी से भी यह हुक्म समाप्त हो जाता है जो किसी चौपाये या अन्य वाहन पर सवारी की हालत में नफ्ल या वित्र नमाज़ पढ़ रहा हो, जबकि ऐसे आदमी के लिए मुसतहब (बेहतर) यह है कि यदि संभव हो तो तकबीरतुल एहराम कहते समय अपना चेहरा क़िब्ला (काबा) की ओर करे, फिर उस सवारी के साथ मुड़ता रहे चाहे जिधर भी उस का रुख हो जाये।
2- काबा को अपनी नज़र से देखने वाले हर व्यक्ति के लिए ज़रूरी है कि वह स्वयं काब़ा की ओर अपना मुँह कर के खड़ा हो, किन्तु जो आदमी काब़ा को अपनी नज़र से नहीं देख रहा है वह मात्र काब़ा की दिशा की ओर मुंह कर के खड़ा होगा।