Under category | दिन और रात की हज़ार सुन्नतें – खालिद अल-हुसैन | |||
Creation date | 2007-11-30 15:20:48 | |||
Article translated to
|
العربية English Français Deutsch Español Italiano Indonesia Русский 中文 Português Nederlands 日本の | |||
Hits | 44677 | |||
इस पेज को......भाषा में किसी दोस्त के लिए भेजें
|
العربية English Français Deutsch Español Italiano Indonesia Русский 中文 Português Nederlands 日本の | |||
Share Compaign |
अल्लाह के कृपादानों में सोच वीचार करना:
हज़रत पैगंबर -उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो-ने कहा: अल्लाह के कृपादानों के बारे में सोचो , और अल्लाह में मत सोचो lइसे तबरानी ने "अव्सत" में और बैहक़ी ने "शुअब" में उल्लेख किया है और अलबानी ने इसे विश्वशनीय बताया l
और जो चीजें एक मुसलमान व्यक्ति के साथ दिन-रात में कई बार पेश आती हैं उन्हें में अल्लाह के कृपादानों का एहसास करना भी शामिल है lदिन-रात में कितने ऐसे अवसर आते हैं और कितनी ऐसी घड़ियाँ गुज़रती हैं जिन्हें मनुष्य देखता है या सुनता है, और बहुत सारे ऐसे अवसर आते रहते हैं जो अल्लाह के कृपादानों में सोच-वीचार और शुक्रिया अदा करने की ओर आमंत्रित करते हैं l
१– तो क्या मस्जिद को जाते समय आपने कभी यह महसुस किया कि आप पर अल्लाह की कितनी बड़ी मेहरबानी है कि आप मसजिद को जा रहे हैं जबकि आपके आसपास ही बहुत सारे ऐसे लोग रहते होंगे जो इस कृपा से वंचित हैं, विशेष रूप से सुबह की नमाज़ के लिए जाते समय आपको इस कृपा का भरपूर एहसास होना चाहिए जब आप मुसलमानों के घरों में देखेंगे कि वे गहरी नींद में मुरदों की तरह पड़े हैं l
२- क्या आपने अल्लाह की मेहरबानी को अपने आप पर महसूस किया? विशेष रूप से जब आप किसी दुर्घटना को देखते हैं, किसी के साथ गाड़ी की दुर्घटना हो गई तो कोई शैतान की आवाज़(यानी गानों) को ज़ोर ज़ोर से लगाए हुए है आदिl
३– क्या आपने उस समय अल्लाह की दया को महसूस किया जब आप सुनते हैं या पढ़ते हैं कि दुनिया में फुलाना देश में भुकमरी टूट पड़ी है , या बाढ़ में लोग मर रहे हैं या फुलानी जगह पर बिमारियाँ फैली हुई हैं या और कोई दुर्घटना आई हुई है, या फलाना देश के लोग भूकंप से दोचार हैं या युद्धों में पिस रहे हैं या बेघर हो रहे हैं?
* मैं कहना चाहूंगा कि एक सफल व्यक्ति वही है जिसके दिल और जिसकी भावनाओं और जिसके एहसास से अल्लाह की मेहरबानी कभी ओझल नहीं होती है, और वह हर स्थिति में और हर मोड़ पर सदा अल्लाह का शुक्रिया और उसकी प्रशंसा में लगा रहता है lऔर उस कृपा का शुक्र अदा करता है जो उसे अल्लाह की ओर से प्राप्त है जैसे: धर्म, धन-दौलत की बहतायत, स्वास्थ्य, सुरक्षा इत्यादि की नेमत l
"الحمد لله الذي عافاني مما ابتلاك به وفضلني على كثيرٍ ممن خلق تفضيلاً "
"अल-हम्दुलिल्लाहिल-लज़ी आफानी मिम्मब-तलाका बिही, व फ़ज्ज़लनीअला कसिरिन मिम्मन खलक़ा ताफ्ज़ीला" (अल्लाह के लिए शुक्रिया है जिसने मुझे उस पीड़ा से मुक्त रखा जिस से उसे पीड़ित किया और जिसने मुझे ऐसे बहुत सारों पर प्राथमिकता दिया जिसे उसने बनाया है lयदि यह पढ़ता है तो उस पीड़ा से कभी पीड़ित नहीं होगा lइमाम तिरमिज़ी ने इसे विश्वशनीय बताया l