Under category | क्यू एंड ए | |||
Creation date | 2013-04-18 22:09:02 | |||
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अल्लाह का शुक्र है मैं हाल ही में मुसलमान हुई हूँ, मैं एक हिंदू समाज में पली बढ़ी हूँ और निरंतर उसी में रह रही हूँ। यह माहौल मेरे लिए अपने नये धर्म के पालन के रास्ते में बहुत सी बाधाएं पैदा करता है, और यहाँ पर निश्चित रूप से मेरा प्रश्न नमाज़ के बारे में है, मेरे माता पिता बहुत कट्टरपंथी हैं और वे दोनों मुसलमानों के बारे में कुछ भी सुनना नहीं चाहते हैं, बजाय इसके कि उन्हें यह पता चले कि उनकी बेटी ने इस्लाम स्वीकार कर लिया है! इसलिए मैं उनसे इस मामले को गुप्त रखी हूँ, और समस्या यहाँ पर निहित है कि मैं घर में नमाज़ नहीं पढ़ सकती हूँ, घर बहुत छोटा है और उसमें कोई भी कुछ करता है तो उसमें उपस्थित सभी लोगों को उसका पता चल जाता है, एक बार मेरी माँ ने मुझे नमाज़ पढ़ते हुए देख लिया तो उसी समय से वह मुझ पर नियंत्रण कणा किए हुए है और मुझ पर पाबंदियाँ लगाती रहती है, यह तो घर का मामला है, रही बात आफिस की तो उसमें स्थिति और भी कठोर है, क्योंकि वहाँ किसी भी तरह से नमाज़ पढ़ना संभव नहीं है। इन सभी प्रतिबंधों को देखते हुए मैं वुज़ू करती हूँ और अपने आपको नमाज़ के लिए तैयार रखती हूँ और उसका समय होते ही अपनी मेज़ पर बैठी हुई नमाज़ पढ़ती हूँ। चुनाँचे नमाज़ की सभी कैफियतों को अपने दिल में अंजाम देती हूँ, रही बात घर की तो मैं सामान्य रूप से नमाज़ के लिए उचित समय की ताक में रहती हूँ, यदि मुझे अवसर मिल जाता है तो पढ़ लेती हूं, अन्यथा मैं लेटे हुए या बैठे हुए या इसके अलावा अन्य तरीक़े पर नमाज़ पढ़ती हूँ। स्थिति बहुत कठिन है, कभी कभी मैं नियमित रूप से नमाज़ पढ़ना शुरू करती हूँ कि अपनी माँ के आने की आवाज़ सुनती हूँ तो उसे खत्म करके दूसी चीज़ में व्यस्त होने पर मजबूर हो जाती हूँ, तो आपकी क्या सलाह है ॽ तथा मैं नमाज़ के अंदर सिर और दोनों हथेलियों को ढकने की अनिवार्यता को जानना चाहती हूँ, क्या यह अनिवार्य है ॽ तथा मेरी व्यक्तिगत स्थिति के बारे में क्या हुक्म है जबकि मैं ने आपके सामने अपनी स्थिति को स्पष्ट कर दिया है ॽ यदि मैं सिर और दोनों हथेलियों को ढके बिना नमाज़ पढ़ूँ तो क्या मेरी नमाज़ क़बूल होगी ॽ तथा यहाँ पर मैं आपको अपने बारे में इस तथ्य को बताना चाहती हूँ कि मैं बहुत सी कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करती हूँ इसलिए नमाज़ के अंदर मैं बहुत आराम और सांस लेने का साधन पाती हूँ। ज्यों ही मैं नमाज़ पढ़ती हूँ और अल्लाह से दुआ करती हूँ तो मेरा सीना खुल जाता है और मेरे अंदर नये सिरे से आशा लौट आती है, किंतु मैं अरबी भाषा नहीं जानती हूँ, तो क्या मुझे अंग्रेज़ी भाषा में क़ुर्आन पढ़ने पर पुन्य मिलेगा ॽ इसी तरह मेरी अधिकांश नमाज़ भी अग्रेज़ी ही में होती है तो क्या वह क़बूल होगी ॽ मैं अभी अरबी भाषा सीखने की प्रक्रिया में हूँ और निकट भविष्य में इन - शा अल्लाह मेरी पूरी नमाज़ अरबी भाषा में होगी। मैं आप से नसीहत, सुझाव और सलाह के लिए अनुरोध करती हूँ, क्योंकि मेरे पास एक या दो के अलावा मुसलमान दोस्त नहीं हैं और वे भी धार्मिकता और धर्मनिष्ठा वाले नहीं हैं, तथा मैं जिस जगह रहती हूँ उसके कारीब कोई ऐसी जगह नहीं है जहाँ जाकर मैं अपने धर्म की शिक्षा प्राप्त कर सकूँ, मेरे लिए इंटरनेट ही एकमात्र साधन है, तथा मुझे यहाँ पर आपको इस सेवा पर धन्यवाद करना नहीं भूलना चाहिए जो आप प्रस्तुत कर रहे हैं, मैं ने इससे बहुत लाभ उठाया है।
सभी प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्ल्सह के लिए योग्य है।
सर्व प्रथम :
आरंभ में हमें आपको इस बात पर बधाई देते हुए खुशी महसूस हो रही है कि अल्लाह तआला ने आपको एक महान नेमत, इस्लाम की नेमत, प्रदान किया है, शायद आप को इस नेमत की महानता का एहसास हुआ है कि आपने देखा कि आपकी स्थिति बदल गई, और आप को आराम, चैन, सौभाग्य और मन की शांति का आभास हुआ है, ये सभी चीज़ें अल्लाह तआला शहादतैन पढ़ने वालों को प्रदान करता है, और वे नेमतें इस्लाम के प्रावधानों पर अमल करने से बढ़ती हैं, अतः हम अल्लाह तआला से प्रश्न करते है कि वह आपको अपने धर्म पर सुदृढ़ रखे और आपके ऊपर अपनी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नेमतों को पूरी कर दे।
दूसरा :
आप -ऐ हमारी प्रश्नकर्ता बहन- नमाज़ से संबंधित दो महत्वपूर्ण बातें जान लें:
प्रथम : मुसलमान के लिए नमाज़ को छोड़ने में कोई उज़्र –बहाना - नहीं है चाहे उसकी परिस्थिति कुछ भी हो, महिला होने की स्थिति में वह मासिक धर्म और प्रसव की हालत में नमाज़ को छोड़ देगी, जहाँ तक इसके अलावा स्थितियों की बात है किसी के लिए भी नमाज़ को छोड़ने के लिए कोई बहाना नहीं है, चुनांचे योद्धा नमाज़ पढ़ेगा, क़ैदी नमाज़ पढ़ेगा, बीमार नमाज़ पढ़ेगा, और यह अल्लाह के कानून में इस कर्तव्य की महानता और इसके महत्व के कारण है।
द्वितीय : बंदे पर अपने दीन के प्रावधानों में से किसी कार्य के करने पर आसामान्य या अस्थायी कठिनाई का पाया जाना, उसके ऊपर अल्लाह की तरफ से आसानी पैदा करने का कारण है, चूंकि पवित्र शरीअत (धर्मशास्त्र) ने मुसलमान को चाहे कुछ भी परिस्थिति हो, हर हाल में नमाज़ पढ़ने का आदेश दिया है, इसलिए अहकाम (प्रावधान) के अंदर उसके ऊपर आसानी की है, अतः वह जिस पर सक्षम है उसे करेगा और जिसके करने में असक्षम है या उस पर उसे बहुत कठिनाई होती है उसे छोड़ देगा।
आप ने अपनी जिस स्थिति का उल्लेख किया है उसके बारे में हम आप से कहते हैं
आप इस बात को जान लें कि नमाज़ में बुनियादी सिद्धांत यह है कि वह पवित्रता, शरीर को ढकने, क़िबला की ओर मुंह करने, अर्कान और वाजिबात की अदायागी करने और शरीअत में उसके लिए निर्धारित समय की प्रतिबद्धता के साथ है, और इस मुबारक शरीअत की आसानी में यह भी है कि इसने नमाज़ पढ़ने वाले लोगों की हालतों और उनकी परिस्थितियों को ध्यान में रखा है, अतः मुसलमान को ऐसी चीज़ का हुक्म नहीं दिया है जिस में वह असक्षम हो या उसके लिए कठोर कठिनाई का कारण हो, चुनाँचि वहाँ अपनी चारपाई पर बीमार है, तो युद्ध के मैदान में योद्धा है, तथा जेल में बंद क़ैदी है, तथा एक तरफ अपने इस्लाम और नमाज़ को ज़ाहिर करने से भयभीत व्यक्ति है - जैसे कि आपकी स्थिति है -, और इन सभी से केवल उसी चीज़ को करने के लिए कहा जायेगा जो उनके वश में है, और जिसके करने में वे सक्षम नहीं हैं, वह उनसे समाप्त हो जायेगा, तथा उनके लिए यह स्पष्ट कर दिया जायेगा कि उनकी नमाज़ सही है और उन्हें उसे लौटाने की कतई आवश्कता नहीं है।
तथा हम ने बहुत से उत्तरों में आपकी हालत के अनुकूल ऐसी बातों का उल्लेख किया है जो आप की नमाज़ से संबंधित हैं, उन्हीं में सह कुछ यह हैं :
1- आपके लिए बैठने या लेटने की हालत में नमाज़ के अर्कान और वाजिबात को करना जाइज़ है, जबकि रुकूअ और सजदे में संकेत करेंगी।
2- आपके लिए दो नमाज़ों को एक साथ पढ़ना जाइज़ है यदि आप
हर नमाज़ को उसके समय पर पढ़ने में सक्षम नहीं हैं, या ऐसी हालत में कि आपके लिए दो नमाज़ें एक साथ पढ़ने के लिए पर्याप्त समय है और आप तहारत और पोशाक, तथा अर्कान व वाजिबात की अदायगी करने की अच्छी हालत में हैं, तो आपका ज़ुहर और अस्र की नमाज़ को उन दोनों में से किसी एक के समय में एकत्र करना, तथा मग्रिब और इशा को उन दोनों में से किसी एक के समय में एकत्र करना आप जैसे कि स्थिति वालों के लिए शरई रूख्सत है। बल्कि यदि आप इस रूप में भी नमाज़ पढ़ने में असक्षम हैं, और आपके लिए हर नामज़ को उसके समय पर बैठे हुए, या पहलू पर, या संकेत से पढ़ना संभव नहीं है, और न ही दो नमाज़ों को उपर्युक्त तरीक़े पर एक साथ पढ़ना ही संभव है : तो आपसे जितना हो सकता उसके समय पर पढ़ें, और जो छूट जाए: उसे ऐसे समय में पढ़ें जो आपके लिए आसान हो, जिस समय कि आप अपने परिवार की आंखों से दूर होती हैं।
3- अगर आप वुज़ू या स्नान नहीं कर सकती हैं तो आपके हक़ में उन दोनों के बजाय तयम्मुम करना पर्याप्त होगा।
तथा पिछले मुद्दों के लिए प्रश्न संख्या (100627) का उत्तर देखें।
4- आपके लिए नमाज़ को तोड़ना जाइज़ है यदि आपको डर है कि आपके परिवार का कोई आदमी आपको नमाज़ पढ़ते हुए देख लेगा।
तथा प्रश्न संख्या (65682) का उत्तर देखें।
5- आपके लिए साफ सुथरे बाथरूम में नमाज़ पढ़ना जाइज़ है यदि आप उसके अलावा नमाज़ पढ़ने के लिए कोई अन्य जगह न पायें।
तथा प्रश्न संख्या (153572) का उत्तर देखें।
6- आपके लिए अरबी भाषा सीखना और सूरतुल फातिहा याद करना संभव होने तक, आप सूरतुल फातिहा के बजाय “सुब्हानल्लाह, अल्हमदुलिल्लाह, ला इलाहा इल्लल्लाह” और “अल्लाहु अकबर” पढ़ सकती हैं, और आपका इस रूख्सत को अपनाना जारी रहेगा यहाँ तक कि आपके लिए सूरतुल फातिहा याद करना आसान हो जाए, और शायद आप को ज्ञात होगा कि नमाज़ में उसका पढ़ना नमाज़ के अरकान में से एक रूक्न है, इसलिए आप अरबी में सबसे पहले इसे ही सीखें और क़ुरआन में से सबसे पहले इसे ही याद करें।
तथा प्रश्न संख्या (3471) का उत्तर देखें।
7- नमाज़ के अज़कार के विपरीत, रूकूअ़ और सज्दे में दुआ करना अरबी भाषा में होना शर्त (आवश्यक) नहीं है, आप अपनी भषा में भी लोक परलोक की भलाई के लिए दुआ कर सकती हैं।
तथा प्रश्न संख्या (20953) का उत्तर देखें।
8- इसी तरह की बात आपके कपड़े और नमाज़ के पर्दे के बारे में कही जायेगी, यदि आप - चेहरे और दोनों हथेलियों के अलावा - पूरे कपड़े में नमाज़ पढ़ सकती हैं तो आप ऐसा ही करें, और यदि आपके ऊपर नमाज़ का समय तंग हो जाए और आप हिजाब न पहन सकें तो आप जो कपड़े पहने हुई हैं उसी में नमाज़ पढ़ लें।
सारांश यह कि वर्णन किया जा चुका है कि नमाज़ के अहकाम में से आप जो कर सकती हैं उसे करेंगी और जिसके करने में आप असक्षम हैं वह आप से समाप्त हो जायेगा, और आप अपनी नमाज़ के बातिल होने और उसे दोहराने को चिंता का विषय न बनायें, क्योंकि नमाज़ सही है और आपको उसे लौटाने की आवश्कयता नहीं है, और यह इस शरीअत की आसानी और सुविधा में से है। आप शरीअत की रूख्सतों को अपनाती रहें यहाँ तक कि अल्लाह तआला आपके मामले को आसान कर दे और आप नमाज़ के प्रावधानों को संपूर्ण रूप से करने पर सक्षम हो जायें। और हो सकता है कि यह निकट ही हो।
हम आपको सलाह देते हैं कि यदि आपको अपने परिवार की तरफ से आपको परीक्षण में डाले जाने का भय है और आप उनके कष्ट और नुकसान पहुँचाने पर धैर्य नहीं कर सकती हैं तो आप अपने इस्लाम और अपनी नमाज़ को प्रदर्शित करने में जल्दी न करें।
हम अल्लाह तआला से प्रश्न करते हैं कि वह आपके परिवार को मार्गदर्शन प्रदान करे, आपके मामले को आसान कर दे, आपके लिए आपके संघर्ष और धैर्य का पूरा पूरा बदला लिख दे और आप जिस स्थिति में हैं उससे निकलने का रास्ता और आसानी पैदा कर दे।
हम आप से आशा करते हैं कि हमसे संपर्क करने में संकोच न करें, हम आपकी स्थिति को देखते हुए आपके प्रश्नों को विशेष महत्व देंगे। अल्लाह आपको तौफीक़ प्रदान करे और आपका ख्याल रखे।