पैगंबर हज़रत मुहम्मद के समर्थन की वेबसाइट - बच्चे के दिल में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का प्यार सुदृढ़ करना



عربي English עברית Deutsch Italiano 中文 Español Français Русский Indonesia Português Nederlands हिन्दी 日本の
Knowing Allah
  
  

   

हम अपने बच्चों के दिलों में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का प्यार कैसे विकसित करें ॽ मेरी एक छोटी बच्ची है, मैं इस बारे में उसके साथ क्या करूँ ?

 

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

 

हमारे बच्चों के दिलों में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्यार को विकसित करने के कई तरीक़े हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :

 

- माता पिता बच्चों को नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के समय काल के सहाबा किराम के बच्चों की वर्णित कहानियाँ सुनायें कि किस तरह उन्हों ने आपको कष्ट पहुँचाने वालों से लड़ाई की, आपकी पुकार का शीघ्र उत्तर दिया और आपके आदेशों का पालन किया, जो चीज़ नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पसंद करते थे उससे मोहब्बत की, और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की हदीसों को याद किया।

 

- वे दोनों जितना हो सके उन्हें नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की हदीसें याद कराने की कोशिश करें, और उन्हें याद करने पर उनको इनाम दें। इस संबंध में वर्णित बातों में से ज़ुबैरी का यह कथन है : मालिक बिन अनस की एक बेटी थी जो उनके ज्ञान - अर्थात मुवत्ता - को याद रखती थी, वह दरवाज़े के पीछे खड़ी होती थी, जब पढ़ने वाला गलती करता तो वह दरवाज़े को खटखटाती थी तो इमाम मालिक समझ जाते थे, चुनांचे उसका खण्डन करते थे। नज़्र बिन हारिस से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : मैं ने इब्राहीम बिन अदहम को फरमाते हुए सुना : मुझसे मेरे पिता ने कहा : ऐ मेरे बेटे! हदीस को तलाश करो, जब तुम कोई हदीस सुनोगे और उसे याद कर लोगे तो तुम्हारे लिए एक दिरहम (इनाम) है, तो मैं ने इस तरह हदीस को तलाश किया।

 

- वे दोनों उनके लिए उनकी समझ बूझ के अनुसार पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जीवनी, आपके युद्धों, सहाबा और सहाबियात रिज़वानुल्लाह अलैहिम की जीवनियों की व्याख्या करें, ताकि वे इन चयनित लोगों की मोहब्बत पर पले बढ़ें, उनके व्यवहार से प्रभावित हों, और अपने आप को सुधारने और अपने धर्म की सहायता व समर्थन के रास्ते में निःस्वार्थता और कार्य के लिए उत्सुक व उत्साहित हों।

 

सहाबा किराम और सलफ सालिहीन नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जीवनी का अध्ययन करने और उसे अपने बच्चों को सिखाने के बड़े लालायित थे, यहाँ तक कि वे उन्हें उसे क़ुर्आन की शिक्षा देने के साथ पढ़ाते थे, क्योंकि आपकी जीवनी क़ुर्आन के अथें का अनुवाद है, साथ ही उसके अंदर भावनाओं को उत्तेजित करना और इस्लामी वस्तुस्थिति का अवलोकन है, तथा उसका मन पर आश्चर्यजनक प्रभाव पड़ता है, इसी तरह वह अपने अंदर, तथा मानवता को पथभ्रष्टता से निकाल कर मार्गदर्शन की ओर, असत्य से सत्य की ओर, तथा अज्ञानता काल के अंधकार से इस्लाम के प्रकाश की ओर लाने में संघष और प्यार के अर्थों को समेटे हुए है। तथा माता या पिता को चाहिए कि बच्ची को पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जीवनी और सहाबा व सहाबियात की जीवनी की कहानियाँ सुनाते समय ऐसी चीज़ों का चुनाव करें जो उसकी भावना को उभारते हों, उदाहरण के तौर पर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का बचपन, हलीमा सअदिया के पास आपकी जीवन का कुछ अंश, तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कारण अल्लाह तआला ने हलीमा और उनके परिवार पर किस तरह भलाई और अनुग्रह की वर्षा की, तथा हिजरत की रात किस तरह अल्लाह ने मुशरिकों की निगाहों पर पर्दा डाल दिया, इसके अलावा अन्य पहलू जो आपके साथ अल्लाह के देखभाल (इनायत) को दर्शाते हैं, तो इसकी वजह से बच्ची का दिल अल्लाह सर्वशक्तिमान के प्यार और उसके पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्यार से भर जायेगा। अली रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “अपने बच्चों को तीन गुणों पर अनुशासित करो : अपने नबी की मोहब्बत, आपके परिवार की मोहब्बत, और क़ुर्आन के पाठ पर, क्योंकि क़ुर्आन के वाहक जिस दिन कोई साया न होगा उस दिन उसके पैगंबरों और चयनित लोगों के साथ अल्लाह के साया में होंगे।” इसे सुयूती ने अल-जामिउस्सगीर पृष्ठ 25 में उल्लेख किया है, और अल्बानी ने ज़ईफुल जामिइस्सगीर पृष्ठ 36 (हदीस संख्या : 251) में ज़ईफ क़रार दिया है। कितना अच्छा होगा कि माता पिता रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जीवनी के लिए, परिवार के दैनिक पाठ से एक उचित समय निर्धारित कर लें जिसमें बच्चे आसान किताबों से पाठ करें, या माता या पिता उसमें से बच्चों की आयु के अनुकूल चयन करलें।

 

हनान अत-तूरी की किताब “तनशियतुल फतातिल मुस्लिमह” पृष्ठ 171 से।

 




                      Previous article                       Next article




Bookmark and Share


أضف تعليق