Under category | दिन और रात की हज़ार सुन्नतें – खालिद अल-हुसैन | |||
Creation date | 2007-11-30 13:21:48 | |||
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सुतरा(या आड़) की ओर नमाज़ पढ़ना:
हज़रत पैगंबर-उन पर इश्वर की कृपा और सलाम हो-ने कहा: तुम में से जब कोई नमाज़ पढ़े तो किसी आड़ की ओर नमाज़ पढ़े और उस के नज़दीक हो जाए और अपने आड़ और अपने बीच से किसी को भी गुज़रने न दे. इसे अबू-दाऊद, इब्ने-माजा और इब्ने-खुज़ैमा ने उल्लेख किया है.
* यह एक सामान्य हदीस है जिस में नमाज़ के समय "सुतरा" या आड़ रखने के सुन्नत होने का प्रमाण मौजूद है, चाहे मस्जिद में हो या घर में, इसी तरह स्त्री और पुरुष इस में बराबर हैं, लेकिन कुछ नमाज़ियों ने अपने आपको इस सुन्नत से वंचित कर रखा है, इसलिए हम देखते हैं कि वे बिना आड़ रखे नमाज़ पढ़ते हैं.
* यह सुन्नत एक मुसलमान के साथ दिन-रात में कई बार आती है, जैसे निश्चित सुन्नत नमाजों में, और दिन चढ़ने के समय की नमाज़ में, इसी तरह तहिय्यतुल-मस्जिद या मस्जिद में प्रवेश होने की नमाज़ के समय और वितर नमाज़ के समय, जानना चाहिए कि यह सुन्नत महिला के साथ भी लगी हुई है, यदि वह घर में अकेले फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ती है, लेकिन समूह की नमाज़ में इमाम ही अपने पीछे नमाज़ पढ़ने वालों का सुतरा होता है.